फैक्ट’ और ‘फिक्शन’ एक ही घाट पर पी रहे हैं पानी
प्रो. संजय द्विवेदी भारत में इस समय 1 लाख से ज्यादा समाचार पत्र और पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं, अलग-अलग भाषाओं में हर रोज 17 हजार से ज्यादा अखबारों का प्रकाशन होता है और इनकी 10 करोड़ प्रतियां…
प्रो. संजय द्विवेदी भारत में इस समय 1 लाख से ज्यादा समाचार पत्र और पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं, अलग-अलग भाषाओं में हर रोज 17 हजार से ज्यादा अखबारों का प्रकाशन होता है और इनकी 10 करोड़ प्रतियां…
World Environment Day: पर्यावरण की सुरक्षा, चिंता और संरक्षण के संदेश को फैलाने के लिए हर साल हम 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं। इस दिवस को मनाने…
समाज जीवन के सभी क्षेत्रों की तरह मीडिया भी इन दिनों सवालों के घेरे में है। उसकी विश्सनीयता, प्रामणिकता पर उठते हुए सवाल बताते हैं कि कहीं कुछ चूक हो…
स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर की पूरी जिंदगी रचना, सृजन और संघर्ष का उदाहरण है। आजादी के आंदोलन के वे अप्रतिम नायक हैं। उनकी प्रतिभा के इतने कोण हैं कि…
प्रो. संजय द्विवदी ब्रम्हर्षि नारद लोकमंगल के लिए संचार करने वाले देवता के रूप में हमारे सभी पौराणिक ग्रंथों में एक अनिवार्य उपस्थिति हैं। वे तीनों लोकों में भ्रमण करते हुए…
यह डिजीटल समय है,जहां सूचनाएं, संवेदनाएं, सपने-आकांक्षाएं, जिंदगी और यहां तक कि कक्षाएं भी डिजीटल हैं। इस कठिन कोरोना काल ने भारत को असल में डिजीटल इंडिया बना दिया है।…
संवाद, संचार और बातचीत की कला किसी का भी दिल जीत सकती है। इसके प्रभावों का आकलन नहीं किया जा सकता। किंतु किसी व्यक्ति की सफलता उसकी संवादकला ही तय…
कोविड-19 के इस दौर ने हर किसी को किसी न किसी रूप में गंभीर रूप से प्रभावित किया है। किसी ने अपना हमसफर खोया है तो किसी ने अपने घर-परिवार…
यह सृष्टि का अक्षय पर्व है। पृथ्वी से अन्न पाने की अनुमति का समय है। पितरों को पुण्यलाभ प्रदान करने की योजना है। कलियुग की कल्पतिथि है। यह जीवन को…
भारत में ऐसा क्या है जो उसे खास बनाता है? वह कौन सी बात है जिसने सदियों से उसे दुनिया की नजरों में आदर का पात्र बनाया और मूल्यों को सहेजकर रखने…