Bike Boat Scam: सरकार किसी की भी रहे घोटाला और भ्रष्टाचार को रोक पाना संभव नहीं है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बाइक बोट घाटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने करोड़ों रुपए के इस घाटाले का खुलासा करते हुए 152 बाइकों को बरामद किया है। इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। इन गाड़ियों को निगोहां, मोहनलालगंज और कैंट क्षेत्र से बरामद किया गया है। इसमें मोहनलालगंज के हाइवे के किनारे भावाखेड़ा गांव में कुलदीप शुक्ला की बिल्डिंग में बने बेसमेंट से 117, निगोहां के ब्रह्मदासपुर स्थित एक घर से 22 और कैंट क्षेत्र से 13 बाइकों को बरामद किया गया है।
वहीं पुलिस ने बाइक बोट कम्पनी की फ्रेंचाइजी लेने वाले अमित अग्रवाल और उनके पार्टनर कुलदीप शुक्ला का हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। इस पूरे मामले का खुलासा पीजीआई पुलिस ने किया है। साथ ही इस पूरी कार्रवाई की सूचना घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू को दे दी गई है। बता दें कि ईओडब्ल्यू की मेरठ इकाई काफी समय से चार हजार करोड़ रुपए के इस बाइक बोट घोटाले की जांच कर रही थी। इस घोटाले में अब तक कई लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। जांच के सिलसिले में लखनऊ में कई बार छापेमारी की गई।
इस मामले में फरार चल रहे एक न्यूज चैनल के मालिक बीएन तिवारी के घर से इसी वर्ष 12 मार्च को जगुआर और फॉच्र्यूनर गाड़ी बरामद की गई थी। इसके बाद सभी गाड़ियां को लखनऊ में छिपा कर रखने की बात सामने आई थी। पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के मुताबिक डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन को इस बारे में सूचना मिली थी। इसी सूचना के आधार पर तीन थानों की पुलिस ने एक साथ छापेमारी की कार्रवाई की।
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सभी गाड़ियों पर लिखा है बाइक बोट
पुलिस के मुताबिक बरामद की गई इन सभी गाड़ियों पर बाइक बोट लिखा हुआ है। नीले रंग की इन गाड़ियों को थानों पर जमा कराया जा रहा है। इस मामले में पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने बताया कि इस गिरोह के खिलाफ गोमतीनगर, विभूतिखंड और गाजीपुर थाने में लगभग 15 मुकदमे दर्ज हैं। आरोपियों से पुलिस की पूछताछ जारी है। साथ ही बरामद की गई गाड़ियों को ईओडब्ल्यू को सौंप दी जाएंगी, क्योंकि इस मामले की जांच वही कर रही है।
क्या है बाइक बोट घोटाला
जानकारी के मुताबिक गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (जीआईपीएल) ने बाइक बोट स्कीम के जरिए करीब 3500 करोड़ रुपए का घोटाला किया है। इस इस घोटाले की जांच प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) कर रही है। संजय भाटी नाम का शख्स इस घोटाले का मुख्य आरोपी है। कंपनी की तरफ से बाइक टैक्सी चलवाने वाली इस स्कीम में लोगों का पैसा लगवाया गया। साथ ही उन्हें एक बाइक की कीमत कंपनी में जमा करने के बदले एक साल तक मासिक 9765 रुपए देने का वादा किया। शुरुआत में एक दो महीने पैसों का भुगतान किया गया, लेकिन बाद में पैसे देने बंद कर दिए। मजे की बात यह है कि कंपनी ने अपने पैसों से एक भी बाइक नहीं खरीदी। जबकि निवेशकों कै पैसे 50 से अधिक शहरों में बाइक टैक्सी दौड़ने लगी।
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