Basti News: यूपी में नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारियों के प्रतिनियुक्ति के नाम पर बहुत बड़ा खेल चल रहा है, जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते यह खेल करोड़ों रुपये में खेला जा रहा है जो कि एक रहस्य बनकर रह गया था। भेद तब खुला जब वरिष्ठ समाजसेवी व आरटीआई कार्यकर्ता सुदृष्टि नारायण तिवारी ने नगरीय विकास विभाग के जन सूचना अधिकारी से जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना मांगी। नगरीय विकास विभाग से सूचना तो सुदृष्टि नारायण तिवारी को नहीं दिया गया, मगर उक्त सूचना के लिए उनकों बार-बार दौडा़कर आर्थिक व मानसिक शोषण किया गया। इससे क्षुब्द होकर उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील कर दिया। उसके बाद भी सुदृष्टि नरायण तिवारी को सूचना नहीं दिया गया और सौकड़ों अधिशासी अधिकारियों को उनके मूल विभाग में भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई। अगर सूचना दे दिया गया होता तो परत दर परत नगर पालिका/पंचायतों के अधिशासी अधिकारियों का भेद व भ्रष्टाचार की पोल खुल जाती, जोकि एक निश्चित समय-सीमा के लिए प्रतिनियुक्ति पर आये थे और समय-सीमा बीत जाने के बाद भी कुण्डली मारकर बैठे रहे।
मूल विभाग में भेजने का खेल शुरू
उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जनपद में निचलौल नगर पंचायत व फरेंदा नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारियों को हटाकर उन्हें उनके मूल विभाग में भेज दिया गया। निचलौल में अधिशासी अधिकारी को ग्राम विकास विभाग में भेजा गया व फरेंदा में तैनात अधिशासी अधिकारी को गोरखपुर में उनके मूल विभाग जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर भेजा गया। वहीं बस्ती जनपद के नगर पंचायत बभनान के अधिशासी अधिकारी रमेश गुप्ता को भी उनके मूल विभाग में भेजा जा चुका है। दबी जुबान से लोग कह रहे हैं कि सिद्धार्थनगर के नपा में भी अन्य विभाग से आये हुए ईओ प्रतिनियुक्ति पर हैं। योगी सरकार नगर पंचायत में स्थाई अधिशासी अधिकारियों की नियुक्ति करने जा रही है। इसके लिए लगभग साढे तीन सौ पदों पर भर्ती की तैयारी चल रही है।
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उधार के ईओ से चल रहा काम
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग साढ़े पांच सौ से अधिक नगर पंचायतें हैं, फिर भी 200 से अधिक अधिशासी अधिकारियों की स्थाई पदों पर तैनाती नहीं है। अभी तक उधार के ईओ अन्य विभाग से प्रति नियुक्ति पर रखकर काम चलाया जा रहा था। आरटीआई कार्यकर्ता सुदृष्टि नारायण तिवारी द्वारा एक आरटीआई लगाये जाने के कारण प्रतिनियुक्ति पर आये हुए ईओ को उनके मूल विभाग में वापस भेजा जा रहा है, जिसके कारण अधिशासी अधिकारियों की कमी हो गई है। जिसे अतिरिक्त प्रभार देकर कम चलाया जा रहा है। इसके चलते काम प्रभावित हो रहा है। जानकारी के मुताबिक नगर पंचायत के ईओ का पद समूह (ग) स्तर का होता है। इसीलिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा भर्ती कराए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
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