Basti News: लोकसभा चुनाव 2014 के बाद से जन प्रतिनिधियों के कामकाज में काफी बदलाव आया है। बावजूद इसके कुछ जनप्रतिनिधि अभी भी ऐसे हैं, जिन्हें चुनाव के समय में ही क्षेत्र की याद सताती है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसदों व विधायकों को साफ निर्देश दे चुके हैं कि वह अपने क्षेत्र की जनता को कराए गए विकास कार्यों और सरकार की योजनाओं के बारे में बताएं। इसके बाद भी सांसद व विधायक क्षेत्र के विकास में अपनी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे ही पिछड़े क्षेत्रों में बस्ती जनपद का गौर विकास खंड अंतर्गत बेलघाट बाजार आता है। जो सबसे पुराना बाजार होने के बावजूद भी विकास की रफ्तार में काफी पीछे छूट गया है। सड़कों के अभाव के चलते बाजार की स्थिति बदतर बनी हुई है। आलम यह कि व्यवसायी दुकानदारी के लिए आसपास के क्षेत्रों में जगह तलाश रहे हैं और एक-एक करके दूसरे क्षेत्र के बाजारों में बस रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि बेलघाट में प्राइमरी स्कूल से लेकर इंटर कॉलेज, सरकारी अस्पताल, बैंक, पशु चिकित्सालय तक बन चुके हैं। लेकिन इन सबको जोड़ने वाली सड़कों की स्थिति आज भी आजादी के पहले वाली बनी हुई है।
जानकारी के मुताबिक, गौर विकासखंड के अंतर्गत आने वाला गांव बेलघाट बाजार क्षेत्र के मध्य में है, जो मुसहा, पढ़नी और जलेबीगंज आदि क्षेत्रों को जोड़ता है। लेकिन जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते ये सारी सड़के गड्ढे की शक्ल ले चुकी हैं। हालांकि पीडब्ल्यूडी की तरफ से सड़कों के निर्माण का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन विधायक और सांसद की तरफ से रुचि न दिखाने के चलते फाइल वापस विभाग के पास पहुंच गई है। इस संदर्भ में गांव के लोगों ने जब पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता से बात की तो पता चला कि जनप्रतिनिधियों की रुचि न लेने की वजह से सड़कों के निर्माण कराने वाली प्रस्ताव की फाइल बिना स्वकृति के वापस आ गई है। हालांकि गांव के संवैधिनक पद पर कार्यरत अंगद प्रसाद मोदनवाल के कहने पर विभाग की तरफ से दोबारा फाइल भेजने की बात कही जा रही है।
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नेता और समाजसेवी होने के बावजूद गांव खस्ताहाल
बस्ती जनपद का बेलघाट ऐसा गांव है जहां से निकले लोग कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहे हैं। गांव से कई नेता हैं, तो कई समाजसेवी हैं, जिनकी चर्चा प्रदेश में भी होती है। लेकिन ऐसे लोगों का गांव कैसा है, यह यहां पहुंचने पर पता चलता है। सरकारी अस्पताल से डाक्टर जहां नदारद रहते हैं, वहीं पशु अस्पताल कागजों में चल रहा है। गौशाला बनी है, जो गायों की मौत का कारण बन रही है। गौ सेवक राम लौट निषाद का कहना है कि कई महीनों से उन्हें वेतन तक नहीं मिला है। गायों का चारा भी उपलब्ध नहीं है। वह अपने पास से गायों के चारे का प्रबंध कर रहे हैं।
गांव के ही युवा भाजपा नेता दीपक सोनी का कहना है कि वह जनसमस्याओं को लेकर आवाज उठाते रहते हैं। लेकिन जिम्मेदारों की तरफ से रुचि न लेने की वजह से समस्याएं ज्यों की ज्यों बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, सड़क निर्माण संबंधी मांग को लेकर जल्द ही वह पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता से मिलेंगे। फिलहाल लोकसभा चुनाव 2024 करीब है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा, जनता के हितैषी होने का दावा करने वाले जनसमस्याओं को लेकर क्या रुचि दिखाते हैं।
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