Jammu-Kashmir Elections: बकरवाल समुदाय (Bakarwal community) जिन्हें गुर्जर समुदाय का एक प्रमुख और सम्मानित हिस्सा माना जाता है, मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर और आसपास के क्षेत्रों में बसा हुआ है। ‘बकरवाल’ नाम कश्मीरी बोलने वाले विद्वानों द्वारा रखा गया है और यह गुर्जर समुदाय के सदस्य होते हैं जो मुख्यतः भेड़-बकरी पालन से जुड़े होते हैं। गुर्जर और बकरवाल समुदाय की जीवनशैली मुख्यतः खानाबदोश है, और वे अक्सर पहाड़ी इलाकों से मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन करते हैं।

बकरवाल समुदाय (Bakarwal community) को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है

पूर्ण खानाबदोश (फुली नोमाड): ये लोग पूरी तरह से खानाबदोश जीवन जीते हैं और जंगलों में ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं। उनके पास स्थायी निवास नहीं होता।

आंशिक खानाबदोश (सेमी नोमाड): इन लोगों के पास एक स्थायी निवास होता है, लेकिन वे कुछ समय के लिए जंगलों में भी निवास करते हैं और फिर वापस अपने स्थायी आवास पर लौटते हैं।

शरणार्थी खानाबदोश (माइग्रेटरी नोमाड): इस श्रेणी में आने वाले लोग पहाड़ी इलाकों में एक स्थायी घर और मैदानी इलाकों में भी एक ठिकाना रखते हैं।

Jammu-Kashmir Assembly Elections

बकरवाल समुदाय की भूमिका और महत्व

जनसंख्या और वितरण: 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में बकरवाल समुदाय की आबादी लगभग 2.17 लाख है, जबकि गुर्जर समुदाय की आबादी 9.80 लाख के करीब है। इन दोनों समुदायों की संयुक्त जनसंख्या जम्मू-कश्मीर की कुल जनसंख्या का लगभग 11% है।

आर्थिक और सामाजिक स्थिति: बकरवाल समुदाय मुख्यतः चरवाहे होते हैं और पारंपरिक रुप से वे भेड़-बकरी पालन से जुड़े होते हैं। इस समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति अन्य समाजों की तुलना में पिछड़ी हुई मानी जाती है, और वे शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक अवसरों के मामले में समस्याओं का सामना करते हैं।

अनुच्छेद 370 के हटने के बाद विधानसभा चुनावों में बकरवाल समुदाय की भूमिका

मतदान का महत्व: अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इस बार बकरवाल समुदाय भी पहली बार विधानसभा चुनावों में सक्रिय भागीदारी करेगा। बकरवाल समुदाय के सदस्य पहले से ही मैदानी इलाकों में लौटने लगे हैं ताकि वे चुनाव में अपना मतदान कर सकें।

चुनाव में प्रभाव: बकरवाल समुदाय की सक्रियता और उनके वोट की गिनती इस बात को प्रभावित कर सकती है कि कौन सी पार्टी सत्ता में आती है। यह समुदाय चुनावी गणित में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, खासकर जब चुनावी मुकाबला बेहद कड़ा हो।

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समुदाय की उम्मीदें: बकरवाल समुदाय के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि नई सरकार उनके मुद्दों पर ध्यान देगी और उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए ठोस कदम उठाएगी। उनके सदस्य चुनाव में सक्रिय रुप से भाग लेने के लिए उत्साहित हैं और मतदान को लेकर जागरुकता बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं।

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बकरवाल समुदाय, जिनकी उपस्थिति जम्मू और कश्मीर में महत्वपूर्ण है, विधानसभा चुनावों में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। यह समुदाय अपने मताधिकार का उपयोग करके अपनी आवाज को राजनीतिक मंच पर लाने की कोशिश कर रहा है, और उम्मीद कर रहा है कि चुनाव परिणाम उनके सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।

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