नई दिल्ली: स्वाधीन भारत के 75वें वर्ष में किसान तथा कृषि की स्थिति क्या है इस विषय पर एबी फाउंडेशन के तत्वावधान में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आयोजित वेबीनार में देश के जाने-माने बहुचर्चित किसान नेताओं ने अपने संबोधन में विशद चर्चा की। भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष डॉक्टर कृष्ण बीर चौधरी ने बतौर प्रथम वक्ता नए कृषि कानून के बाद किसानों के आर्थिक विकास तथा उनकी उत्पादित वस्तुओं के विक्रय मूल्य में बढ़ोतरी की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार की ओर से 1000 ई मंडी की व्यवस्था की गई तथा इस नए कानून के माध्यम से किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में कुछ वर्ष पूर्व तक लगभग 11 हजार किसान प्रतिवर्ष आत्महत्या करते थे। इनमें अधिकतर छोटे किसान हुआ करते थे। जो किसी न किसी माध्यम से आर्थिक शोषण का शिकार रहे। भारत सरकार के नए कृषि कानून से अब कमीशन एजेंट तथा दलालों (बिचौलियों) को किसानों का शोषण करने में मुश्किल हो रही है। नए कृषि कानून का विरोध वे ही कर रहे हैं जिन्होंने आज तक किसानों का शोषण किया है। उन्होंने अपने उद्बोधन में एग्रो प्रोसेसिंग तथा निर्यात पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इसके माध्यम से बड़ी संख्या में रोजगार के संसाधन विकसित किए जा सकते हैं। उन्होंने किसान को बाजार में उपभोक्ता के साथ खड़ा करने की व्यवस्था पर भी बल दिया।
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वेबीनार के दूसरे स्पीकर प्लीजएंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान ने जहां खाद्य पदार्थों के निर्यात तथा गुणवत्ता को बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला वहीं कृषि प्रोसेसिंग सुविधा को बढ़ाने पर भी जोर दिया। वेबीनार के तीसरे वक्ता के रूप में प्रगतिशील किसान क्लब पलवल के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह दलाल जो खुद एक किसान हैं, अपने उद्बोधन में किसानों के हो रहे शोषण को करीब से देखने का उदाहरण पेश करते हुए बताया कि किसानो के हित से जुड़ी समितियों में किसानों को शामिल करना चाहिए था लेकिन उनकी जगह ज्यादातर राजनीतिक तथा अन्य व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों को शामिल कर किसानों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में असफल कोशिशें होती रही है। यह कवायद एक तरह से छलावा ही थी।
उन्होंने अपने जीवन में घटित उदाहरण के साथ ढेर सारी समस्याओं का जिक्र किया। साथ ही साथ सरकार की ओर से किए जा रहे उन नए प्रयासों का भी उल्लेख किया जो आने वाले समय में किसानों के सामाजिक तथा आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। कार्यक्रम में एबी फाउंडेशन के मार्गदर्शक वरिष्ठ जर्नलिस्ट एवं नेशन टुडे के मुख्य संपादक पदम पति शर्मा ने आजादी के 75 सालों में किसानों के हुए शोषण तथा सरकारी नीति की विफलता पर प्रकाश डालते हुए विषय की प्रस्तावना रखी। कार्यक्रम के मॉडरेटर की भूमिका में रवि पांडे ने हमेशा की तरह अपने दायित्व का सफलता से निर्वहन किया।
कार्यक्रम के अंत में संस्था की ओर से एडवोकेट आनंद कुमार सिंह ने समस्त वक्ताओं एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बताया कि भारत की धरती विश्व के लिहाज से सबसे उर्वरा यानी उपजाऊ श्रेणी में आती है। इस परिस्थिति में सिर्फ निर्यात, कृषि उत्पादों की गुणवत्ता त्तथा एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट का अगर आधारभूत निर्माण किया जाए तो हमारे देश को नए भारत रूप में पूरी दुनिया का विश्व गुरु एवं आत्मनिर्भर बनने में कोई रोक नहीं सकता। इन्हीं शब्दों के साथ उन्होंने अपनी वाणी को विराम दिया।
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