लखनऊ: देश के ग्राम्यांचलों तक विकास की अंतिम किरण नहीं पहुंच सकी, यह बताने की जरूरत नहीं। दरअसल बुनियादी सेवाओं का अभाव ही ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा का सबसे बडा रोड़ा है। उक्त उद्गार भारत सरकार के पूर्व स्वास्थ्य सचिव सीके मिश्रा के हैं, जो बतौर मुख्य अतिथि एबी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित “ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान स्वास्थ्य सुविधा और भविष्य की उम्मीद” विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
श्री मिश्रा ने कोविड-19 से सबक लेने तथा उस पर काम करने की आवश्यकता के ऊपर प्रकाश डालते हुए कहा कि मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की एक्सेसिबिलिटी तथा अफॉर्डेबिलिटी दोनों के महत्वपूर्ण पैरामीटर के अंदर विस्तृत निर्माण की बात की। उन्होंने डाटा के बेहतरीन उपयोग करने पर बल दिया तथा प्रिवेंटिव हेल्थ सेक्टर पर बजट की ज्यादा धनराशि खर्च करने की जरूरत पर बल दिया। इससे देश के आम जन के पास बीमारी ही न फटके। उन्होंने कहा कि लोगों को दूसरों की सफलता को सेलिब्रेट करते हुए अपने यहां की सर्विस ऑफ क्वालिटी इंप्रूव करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि अन्य राज्यों को भी उससे सीखना चाहिए।
पूर्व स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि आप जबतक गावों को आधारभूत लेकिन एकीकृत सुविधाओं से लैस नहीं करेंगे, स्वास्थ्य सेवा बेहतर नहीं हो सकती। आपको एक ही परिसर में अस्पताल, डाक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए क्वार्टर्स, रहने की सुविधा से परिपूर्ण प्रशासनिक कार्यालय, क्वार्टर्स के साथ पुलिस थाना या चौकी, एटीएम सहित बैंकिंग सुविधा, मिली माल जैसा जनरल स्टोर, गैस स्टेशन और स्कूल आदि की उपलब्धता से ही गावों को चहुंमुखी विकास तो होगा ही। डाक्टर्स, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ आदि ऐसे में सहर्ष अपनी सेवाएं देने के लिए तत्पर रहेंगे। उन्होने इस बाबत देश की राजधानी में निर्माणाधीन केन्द्रीय विस्टा का उदाहरण दिया।
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वेबीनार के प्रथम वक्ता दिल्ली के वरिष्ठ हृदय विशेषज्ञ डॉक्टर आनंद पांडे ने मेडिकल एजुकेशन को अपेक्षाकृत सस्ती बनाने की जरूरत पर प्रकाश डाला तथा गांव में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को मेडिकल तथा पैरामेडिकल की समुचित ट्रेनिंग देने पर बल देते हुए कहा कि 60% प्राइवेट संस्थाएं देश की कुल 35 प्रतिवत आबादी की हेल्थ सेवा करता है और जो 40% सरकारी अस्पताल हैं उनकी 65% जनसंख्या में हिस्सेदारी है, यानी बहुसंख्यक सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर है।
डॉक्टर आनंद ने बताया कि भारत में लगभग छह लाख डॉक्टरों की कमी है। डब्ल्यूएचओ मानक के अनुसार 1000 मरीज पर एक डॉक्टर होना चाहिए लेकिन भारत में आज 1511 मरीज पर एक डॉक्टर है। वहीं 670 मरीज पर एक नर्स है। जबकि डब्ल्यूएचओ कहता है कि 300 मरीज पर एक नर्स होना अनिवार्य है। इस तरह देखा जाए तो कुछ राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश, झारखंड बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ आदि राज्यों में डाक्टर्स और
पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। उसी तरह प्रति मरीजों के बेड्स भी भारत में चीन की तुलना में काफी कम है। कहीं न कहीं हमें पॉलिसी को चेंज करने या उसमें सुधार की तत्काल जरूरत है।
वेबीनार के दूसरे स्पीकर डॉ. परमहंस मिश्रा ने, जो दुर्गापुर के आइक्यू मेडिकल कॉलेज में बतौर सीईओ कार्यरत हैं, कहा कि डॉक्टर की पिटाई या उनके साथ हिंसा चिंता जनक है। समाज के सभी वर्गों द्वारा इसे खत्म करने के साथ ही मेडिकल इंश्योरेंस की आवश्यकता को लेकर जागरूकता बढ़ाने की भी अपील की। वेबीनार में तीसरे वक्ता भूतपूर्व भारतीय प्रशासनिक अधिकारी मोहम्मद जाहिद महमूद ने जहां दोपहिया एंबुलेंस जैसी इनोवेटिव इनीशिएटिव का उल्लेख किया। वहीं भ्रष्टाचार के पर अंकुश लगाने की बात भी की।
वेबीनार में संस्था के मार्गदर्शक वरिष्ठ पत्रकार एवं नेशन टुडे के एडिटर इन चीफ पदम पति शर्मा ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि स्वाधीन भारत में देश के कर्णधारों ने महात्मा गांधी के नाम की माला तो जपी लेकिन उनके ग्राम सुराज की अवधारणा को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया। बापू सत्ता का विकेन्द्रीकरण पंचायत स्तर तक पहुंचा कर गावों को स्वावलंबी बनाना चाहते थे। उनके सपनों का यदि भारत होता तो आज ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधा उच्चस्तरीय रहती।
वेबीनार में दिल्ली के चार्टर्ड अकाउंटेंट, वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ एबी फाउंडेशन के ट्रस्टी चंद्रकांत मिश्रा ने संस्था की ओर से चलाए जा रहे अवेयरनेस प्रोग्राम की जानकारी देते हुए भविष्य की योजनाओं का जिक्र किया। वेबीनार के लिए पहली बार नमूदार हुई डॉक्टर सुरभि पांडे ने टीम के संस्थापक सदस्य रवि पांडे के साथ पूर्ण उत्तरदायित्व के साथ बेहतरीन अंदाज में संयुक्त संचालन का निर्वाहन किया।
कार्यक्रम के अंत में संस्था की ओर से कोलकाता के एडवोकेट आनंद कुमार सिंह ने अपने सारे स्पीकर मुख्य अतिथि तथा श्रोताओं के साथ ही अपनी टीम के सभी साथियों का भी धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने सभी वक्ताओं से अपील करते हुए कहा कि आने वाले समय में वे ऐसा आदर्श उपस्थित करें ताकि क्षेत्र ही नहीं अपितु भारत का नाम पूरी दुनिया में गर्व से ऊंचा करने में उनकी यादगार भूमिका रहे।
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