प्रकाश सिंह

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 करीब है, ऐसे में सभी सियासी दल हित साधने में लग गए हैं। हर बार की तरह इस बार भी सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी जीत के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही हैं। जबकि राजनीतिक विशलेषकों की मानें तो भाजपा के सामने सपा मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। ऐसे में सपा चुनावी रुख को अपने तरफ मोड़ने की पूरी कोशिश भी कर रही है। इसी के तहत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में 12 अक्टूबर से समाजवादी विजय यात्रा निकाली गई है। वहीं इसी दिन चाचा व प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने भी रथ यात्रा की शुरुआत की है। यानी राजनीति के दो महारथी, दो रथों पर सवार होकर जनता से विजय का आशीर्वाद लेने निकले हैं।

ऐसे में यह साफ हो गया है कि दोनों नेताओं की बीच की दूरियां अगर यूं ही कायम रहीं सपा का सत्ता में वापसी कर पाना मुश्किल है। हालांकि शिवपाल सिंह यादव ने कुछ उम्मीदों के साथ सपा में वापसी करने के संकेत दिए हैं, लेकिन अखिलेश यादव के अड़ियल रवैए के चलते पार्टी में उनकी वापसी संभव होती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में यह कयासबाजी तेज हो गई है, चाचा शिवपाल से अखिलेश की बेरुखी के चलते 5 साल बाद भी सपा की सत्ता में वापसी हो पाना मुश्किल होता दिख रहा है।

Shivpal Singh Yadav

बता दे कि शिवपाल के सपा से अलग होने के बाद पार्टी को ही नुकसान हुआ है, क्योंकि उनके अलग होने से अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी टूटी है। शिवपाल समर्थकों को जिस तरह बेज्जत करके बाहर निकाला गया है समर्थकों में इसकी टीस अभी भी नजर आ रही है। विधानसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं रह गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार 12 अक्टूबर से समाजवादी विजय यात्रा शुरू की तो वह विजय यात्रा निकालने से पहले अखिलेश यादव ने विक्रमादित्य मार्ग पर शाम को मुलायम सिंह यादव के आवास पर पहुंचकर करीब आधा घंटा उनसे वार्तालाप किया व उनका पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

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लेकिन जिस तरह दोनों महारथी अखिलेश यादव व शिवपाल सिंह एक साथ दो रथ पर सवार हो गए हैं, ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि पार्टी की क्या स्थिति है। मजे की बात यह है कि शिवपाल यादव के साथ रथ में कांग्रेस के प्रमोद कृष्णम दिखाई दे रहे हैं। इस पर अखिलेश को कहा कि चाचा के पास आए चाचा माफ कर देंगे। बता दें कि शिवपाल यादव की रथयात्रा 7 चरणों में पूरी होगी और 27 नवंबर को अयोध्या में इसका समापन होगा।

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