प्रकाश सिंह

आगरा: उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Election 2022) में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए जहां सभी राजनीतिक नैतिकता को दरकिनार जी जान से जुटे हुए हैं। वहीं कुछ ऐसे चेहरे हैं जो जीत की नहीं बल्कि हार का रिकॉर्ड बना चुके हैं। सत्ता की मलाई खाने के लिए नेता सिद्धांतों के साथ समझौता करते हुए दूसरे दलों में शामिल होने में भी कोई संकोच नहीं कर रहे हैं, वहीं आगरा के एक शख्स की कहानी सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है। आगरा के रहने वाले हसनूराम अंबेडकरी (Hasnuram Ambedkar) ऐसे शख्स है जो इस विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यह उनके जीवन का 94वां चुनाव होगा। मजे की बात यह है, इतने चुनाव लड़ने के बाद भी हसनूराम अंबेडकरी (Hasnuram Ambedkar) ने न तो एक चुनाव जीता और न ही उनका चुनाव के प्रति हौसला कम हुआ।

इंडिया टुडे की एक ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार हसनूराम अंबेडकरी ने यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए आगरा जिले के खेरागढ़ विधानसभा से पर्चा खरीदा है। बताया जा रहा है इस बार भी वह अपना भाग्य आजमाने के लिए मैदान में उतरेंगे। रिपोर्ट के अनुसार हसनूराम (Hasnuram Ambedkar) सांसद, विधायक, एमएलसी सहित अब तक 93 चुनाव हार चुके हैं। हसनूराम (Hasnuram Ambedkar) राष्ट्रपति पद के लिए भी नामांकन कर चुके हैं, लेकिन उनका पर्चा ही खारिज हो गया था।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले इस शख्स का नाम हसनूराम अंबेडकरी (Hasnuram Ambedkar) है। इंडिया टुडे की एक ऑनलाइन रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने इस बार आगरा जिले की खेरागढ़ विधानसभा से पर्चा खरीदा है और वे अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतरेंगे। हसनूराम (Hasnuram Ambedkar) अब तक 93 चुनाव हार चुके हैं, यह उनका 94वां चुनाव होगा। हसनूराम राष्ट्रपति पद के लिए भी नामांकन कर चुके हैं, हालांकि तब उनका पर्चा खारिज हो गया था। वर्ष 1988 में हसनूराम (Hasnuram Ambedkar) ने राष्ट्रपति पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनका पर्चा खारिज हो गया था। 76 वर्षीय हसनूराम (Hasnuram Ambedkar) ने प्रण किया है कि जब तक वह जिंदा रहेंगे चुनाव लड़ते रहेंगे। इस बार उनका यह 94वां चुनाव है।

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विधायक की बात पर नौकरी से दिया था इस्तीफा

हर किसी के ​जीवन में बदलाव के लिए कोई न कोई घटना जिम्मेदार होती है। हसनूराम के मुताबिक वर्ष 1984 में उनकी मुलाकात लखनऊ में एक विधायक से हुई थी। किसी बात को लेकर उनकी विधायक से बहस हो गई। इस पर विधायक ने असनूराम पर फला पार्टी के होने का आरोप लगाते हुए चुनाव लड़ने की चुनौती दे दी। उस वक्त हसनूराम राजस्व विभाग में अमीन पद पर कार्यरत थे। विधायक की चुनौती पर हसनूराम ने नौकरी से इस्तीफा देते हुए चुनाव मैदान में उतर गए।

नेताओं के तंज ने इरादा किया पक्का

हसनूराम (Hasnuram Ambedkar) के चुनाव मैदान में उतरने पर कुछ नेताओं ने तंज कसा कि इन्हें तो इनके घर वाले ही वोट नहीं देंगे, इसके बाद हसनूराम ने ठान लिया कि वह हर चुनाव लड़ेंगे और वह तब से चुनाव लड़ते चले आ रहे हैं। हालांकि जनता ने हसनूराम (Hasnuram Ambedkar) का साथ नहीं दिया, पर उनका हौसला बरकरार है। वह वर्ष 1985 से अब तक 93 बार चुनाव लड़ चुके हैं। हसनूराम फिरोजाबाद और आगरा की फतेहपुर सीकरी से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। जानकारी के मुताबिक इस बार वह आगरा की खेरागढ़ और अगरा ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ने के लिए पर्चा खरीदा है। हसनूराम कहते हैं कि वह हारने के लिए चुनाव लड़ते हैं। वह हारने का सैकड़ा लगाना चाहते हैं।

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