राघवेंद्र प्रसाद मिश्र

UP elections 2022: राजनीति में मुद्दों का विशेष महत्व है, शायद यही वजह है कि चुनाव के वक्त गड़े मुद्दे भी उठाए जाने लगते हैं। राजनीतिक दलों का अपना एजेंडा और मुद्दा होता है। यूपी विधानसभा चुनाव में इसबार अलग तरह के मुद्दे दिखाई दे रहे हैं। मजे की बात यह है कि सभी राजनीतिक पार्टियां इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही हैं। शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि चुनाव में रोटी, कपड़ा और मकान की जगह बेरोजगारी और महंगाई के साथ छुट्टा जानवर, गड्ढा युक्त सड़कें मुद्दा बनी हैं। प्रदेश में योगी सरकार आने से पहले छुट्टा जानवर और गड्ढा युक्त सड़कें मुद्दा नहीं, समस्या हुआ करती थीं। इसे मुद्दा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi government) ने बनाया, जिसे विपक्षी हथियार बनाकर अब उन्हीं पर हमला बोल रहे हैं। प्रदेश में योगी सरकार (Yogi government) से पहले भी छुट्टा जानवर सड़कों पर घूमते थे, किसानों की फसल बर्बाद करते थे। योगी आदित्यनाथ ने गौ संरक्षण की बात करके इसे मुद्दा बना दिया। विकास को गति देने के लिए सड़कों का निर्माण हर सरकार में होता रहा है। सरकारें अपने कार्यकाल में सड़कों का निर्माण कराती हैं। लेकिन सीएम योगी (Yogi government) ने सरकार बनते ही प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने का वादा करके इसे भी मुद्दा बना दिया।

ऐसा नहीं है कि योगी सरकार ने इन मुद्दों पर काम नहीं किया। सरकार के स्तर पर काफी काम किया गया। प्रदेश के लगभग सभी ग्राम सभाओं में गौशालाओं का निर्माण कराया गया। इसके लिए बाकायदा बजट भी निर्धारित किया गया, लेकिन मानीरिटिंग के अभाव और भ्रष्टतंत्र के चलते यह सारी व्यवस्थाएं वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतर पाईं। नतीजा योगी सरकार (Yogi government) की पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया। मगर छुट्टा पशुओं की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। हालांकि छ्ट्टा पशु कभी चुनावी मुद्दे नहीं थे, लेकिन इस बार विपक्ष छुट्टा पशुओं को लेकर योगी सरकार पर हमलावर बना हुआ है। ऐसा लग रहा है कि जैसे योगी राज से पहले सड़कों पर छुट्टा पशु नहीं हुआ करते थे। किसानों की फसलों को जानवरों से कोई खतरा नहीं था। यह सारी समस्याएं योगी सरकार के आने के बाद से सामने आई हैं।

इसे भी पढ़ें: शिवपाल के पार्टी कार्यालय पर लटका ताला

सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जैसी सड़कों का निर्माण हो गया, लेकिन गड्ढा मुक्त सड़कें बनाने का दावा अधूरा रह गया। क्योंकि यह योगी सरकार का ऐसा दावा है जो कभी पूरा नहीं हो सकता। सड़कें बनती हैं और टूटती रहती हैं। यह एक प्रक्रिया है, जिसे कोई भी सरकार नहीं रोक सकती। योगी सरकार का यह अपरिपक्व दावा उन्हीं के लिए मुसीबत बन गई है। पांच साल के कार्यकाल में प्रदेश में जहां सड़कों का जाल बिछ गया, वहीं गड्ढा युक्त सड़कें सरकार के दावे को मुंह चिढ़ा रही हैं।

बेरोजगारी की बात की जाए तो जो सहायक शिक्षक भर्ती का मामला सपा सरकार से अटका हुआ था, उसे योगी सरकार ने अपने कार्यकाल के पूरा होने से पहले जैसे-तैसे पूरा करा लिया है। लेकिन इसके लिए अभ्यर्थियों को कितना प्रदर्शन करना पड़ा और पुलिस लाठियां खानी पड़ीं, उसका दर्द चुनाव के दौरान साफ महसूस किया जा रहा है। अतिवाद की शिकार योगी आदित्यनाथ की सरकार ने विपक्ष और जनता को कुछ ऐसे मुद्दे दे दिए हैं, जो कभी मुद्दे थे ही नहीं। योगी सरकार का दावे आज विपक्ष का हथियार बन गए हैं। जो पार्टी के लिए नई मुसीबत बन कर चुनाव में चुनौती दे रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: जो टिकटार्थी थे, शरणार्थी बन गए

Spread the news