प्रकाश सिंह

UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नेताओं के साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Pragatisheel Samajwadi Party) (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल यादव की तरफ से की गई धोखबाजी का जवाब अब मिलना शुरू हो गया है। सपा से गठबंधन कर मात्र एक सीट जसवंत नगर हासिल कर शिवपाल यादव ने चुनाव की तैयारी में लगे अपनी पार्टी के नताओं के साथ जो धोखा किया है, उसका खामियाजा अब सामने आने लगा है। आलम यह है कि जहां एक तरफ सभी राजनीतिक पार्टियां जीत हासिल करने के लिए जी जान से मैदान में हैं, वहीं प्रसपा के इटावा कार्यालय पर ताला लटक रहा है। चाचा-भतीजे की लाड़ाई और मेल-मिलाप में सबसे ज्यादा नुकसान शिवपाल यादव के समर्थकों का हुआ है। शिवपाल यादव के समर्थक न सपा के हो पाए और न ही प्रसपा के। फिलहाल पार्टी नेताओं का विरोध अब शुरू हो चुका है और इसी का नतीजा है कि बुधवार को प्रसपा जिलाध्यक्ष सुनील यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

सुनील यादव के इस्तीफा देते ही प्रसपा कार्यालय (Pragatisheel Samajwadi Party) पर ताला लटक गया है, जिससे यहां आने वाले पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को मायूसी का सामना करना पड़ रहा है। चर्चा है कि प्रसपा में बिखराव का नतीजा यहां भाजपा को मिल सकता है, क्योंकि प्रसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने और कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। हालांकि प्रसपा जिलाध्यक्ष सुनील यादव ने अपने इस्तीफे के पीछे व्यक्तिगत कारण बताया है। लेकिन सपा-प्रसपा गठबंधन में जिस तरह से शिवपाल यादव को मात्र एक सीट जसवंत नगर देकर चुप करा लिया गया, इसका विरोध पार्टी में होना स्वाभाविक है। क्योंकि चाचा-भतीजे के इस गठबंधन में प्रसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के ​हाथ निराशा ही लगी है। वर्षों से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेता कहीं के नहीं रह गए।

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जिलाध्यक्ष सुनील यादव के इस्तीफे के बाद गुरुवार को पार्टी कार्यालय पहुंचे नेता हैरान रह गए। किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि पार्टी कार्यालय में ताला क्यों लगा हुआ है। फिलहाल पार्टी समर्थक इस ताले को चाहे जिस नजरिए से देख रहे हों, लेकिन चुनाव बाद यह ताला हमेशा के लिए हो जाएगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। हालांकि प्रसपा के कुछ नेता अभी भी शिवपाल का समर्थन करते हुए ताला लगाए जाने की घटना को सुनील यादव की ओछी मानसिकता बता रहे हैं।

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