
राघवेंद्र प्रसाद मिश्र
राजनीति में मर्यादा और शुचिता कहने की बात होती है। इसे यूं कह सकते हैँ कि मर्यादा और शुचिता की आड़ में गंदी राजनीति की जाती है। क्षेत्र कोई भी हो उसके अपने मानक होते है। राजनीति करने वाले जहां कदम रख दें वहां की मर्यादा भंग होना स्वाभाविक है। टीवी डिबेट जो ज्वलंत मुद्दों पर सार्थक बहस का केंद्र होता है, दर्शक इसे गंभीरता से देखते हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद होती है जनप्रतिनिधि मुद्दे को लेकर संवेदनशील होंगे। लेकिन देखते ही देखते यह कार्यक्रम बेहद अश्लील हो चला है।
डिबेट में शामिल होने वाले पार्टी के प्रवक्ताओं की भाषा सड़क छाप गुंडों वाली हो चली है। वह तार्किक बहस की जगह गाली-गलौच पर उतर आये है। देश के सबसे बड़े और लोकप्रिय चैनल आजतक पर बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ल और कांग्रेस के सुरेंद्र राजपूत के बीच हुई अशोभनीय टिप्पणी राजनीति के गिरते स्तर को दर्शा रहा है।
सुरेंद्र राजपूत ने की थी शुरुआत
टीवी डिबेट में कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत और प्रेम शुक्ल के बीच अक्सर अभद्र भाषा में बहस होना उनकी पहचान बन गई है। काफी समय पहले न्यूज 24 पर टीवी डिबेट में चर्चा के दौरान प्रेम शुक्ल ने जैसे ही बार डांसर कहते हुए अपनी बात रखनी चाही थी, उनकी बात काटते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने तेरी अम्मा हैं बार डां… कहकर डिबेट की गरीमा को तार-तार कर दिया था।
सुनिए प्रेम शुक्ला को जो भाजपा का प्रवक्ता है
" तलवे तू चाटता, तेरा बाप चाटता है..तेरी माँ रं$$डी है" उफ्फ ये बेटी बचाने वाले लोग हैं ! pic.twitter.com/8HEW0um4d5
— Nigar Parveen (@NigarNawab) May 31, 2025
हालांकि ऐसी अभद्र टिप्पणी प्यार की दुकान चलाने वाली कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता की थी इसलिए इस पर ज्यादा हायतौबा नहीं हुआ। विपक्ष के नेताओं को सांप सूंघ गया जैसे कुछ हुआ ही न हो। लेकिन 31 मई, 2025 को आजतक के डिबेट में सुरेंद्र राजपूत ने जैसे ही प्रेम शुक्ल के पिता को तलवा चाटने वाला बोला, उन्होंने इसका जवाब देते हुए उनके पिता के साथ उनकी मां को रं… तक कह डाला। दोनों की टिप्पणी निंदनीय और अशोभनीय है। लेकिन एक को गलत ठहराना ऐसे बदतमीज नेताओं का साथ देना जैसा है।
प्रेम शुक्ल की ओर से सुरेंद्र राजपूत की मां पर की गई टिप्पणी पर विपक्ष के नेता बौखला गये हैं। सोशल मीडिया पर प्रेम शुक्ल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की जा रही है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि ये लोग उस समय कहां थे जब सुरेंद्र राजपूत ने न्यूज 24 चैनल से प्रेम शुक्ला को कहा था तेरी अम्मा हैं बार डांस…। चेहरा और पार्टी देखकर कार्रवाई की मांग करना नेताओं उनके समर्थकों के दोहरे चरित्र को दर्शाता है। ऐसी मांग करने वालों को सोचना होगा कि क्या वह निष्पक्ष हैं। अगर वह खुद को निष्पक्ष नहीं पाते तो दूसरे से निष्पक्षता की उम्मीद करनी बेमानी है।
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फिलहाल राजनेताओं के चरित्र के गिरते स्तर भयावह भविष्य की तरफ संकेत कर रहे है। इस पर सभी को चिंतन और मनन करने की जरूरत है। क्योंकि एक दौर था जब राजनीति में ऐसे लोग थे, जिनके बारे में आज भी पढ़ा जाता है और उनसे राजनीति की प्रेरणा मिलती है। मगर आज के परिवेश में ऐसे नेताओं के कुरूप चेहरे सामने आ रहे है, उनसे सीखने की नहीं उन्हें सुधारने की जरूरत है।
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