नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का एलान कर दिया गया है। इसके बाद से तालिबान से रिश्ते बनाने की बात अब जोर पकड़ने लगी है। लेकिन मजे की बात यह है कि कल तक जो आतंकी थे, आज वह सरकार में हैं। तालिबान सरकार में मुल्ला हसन अखुंद को प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि मुल्ला हसन अखुंद का नाम संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल है। सोशल मीडिया से लेकर हर जगह तालिबान की नई सरकार में आतंकियों को शामिल किए जाने को लेकर बहस छिड़ गई है। ऐसे में यहां यह समझने की जरूरत है कि तालिबान है क्या? जब आतंकी संगठन देश की कमान संभालेंगे तो उम्मीद क्या की जा सकती है। फिलहाल अफगानिस्तान में गठित तालिबान सरकार में शामिल अधिकतर चेहरे अमेरिका के आतंकियों की लिस्ट में शामिल हैं।

Panjshir Taliban Captured

बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के गठन में उन आतंकी चेहरों को शामिल किया गया है, जिन्होंने गत 20 वर्षों से अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज से जंग में अहम रोल निभाया है। मुल्ला हसन अखुंद को तालिबान सरकार में प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है, तो वहीं दो लोगों को उप प्रधानमंत्री बनाया गया है। उप प्रधानमंत्री में एक नाम अब्दुल गनी बरादर का नाम शामिल है, जिन्होंने अफगानिस्तान से पूरी तरह अमेरिका की विदाई पर समझौता कराया है।

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तालिबान प्रवक्ता के मुताबिक आमिर खान मुत्तकी को अंतरिम विदेश मंत्री बनाया गया है। अब्बास स्टानकजई को विदेश उप मंत्री बनाया गया है। अब्बास स्टानकजई भारतीय सैन्य अकादमी से पढ़ाई कर चुके हैं। वहीं हक्कानी नेटवर्क के नेतृत्व के लिए कुख्यात सिराजुद्दीन हक्कानी को अंतरिम गृह मंत्री बनाया गया है। मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ज्ञात हो कि मुल्ला याकूब के पिता मुल्ला मोहम्मद उमर ने तालिबान की स्थापना की थी।

Taliban

गौरतलब है कि तालिबान की नई सरकार में कम से कम पांच ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने आतंकी घोषित कर रखा है। मजे की बात यह है कि मोस्ट वांटेड आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया गया है। सिराजुद्दीन हक्कानी पर अमेरिका की तरफ से इनाम भी घोषित किया गया है। सिराजुद्दीन हक्कानी का नाता पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान से है। एफबीआई के हक्कानी नेटवर्क के शीर्ष आतंकवादियों की सूची में सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम सबसे ऊपर है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका इन आतंकियों को आगे भी आतंकी मानता रहेगा या फिर आतंकी सूची से इनका नाम हटा देगा।

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