शीत ऋतु का घेरा

धवल चांदनी छिटक रही है, नूर समेटे बांहों में। चुपके से आ जाओ प्रियतम, नैन निहारे राहों में। मन में विरह का ताप बहुत है, दूर..! निंद का डेरा है।…

मधुर मिलन

मधुर मिलन की प्रथम रात। जब मयखाने में आई थी।। नई नवेली मधु प्रेमी बन। कुछ सकुची शरमाई थी।। चाहत के घट छलक रहे थे। उमड़ रही उर की हाला।।…