Shailendra Kumar Yadav
शैलेन्द्र कुमार यादव

Hindi Interesting Stories: एक गांवों में एक किट्टू नाम का बच्चा था, वह बहुत ही शरारती था और खेलने कूदने में बहुत आगे रहता था। सारा दिन खेलने में लगा देता, अपने सारे दोस्तों को इकट्ठा करता और खूब शरारत करता। (Hindi Interesting Stories) बचपन में तो ईश्वर का रूप है, न कोई छल-कपट और न किसी की चिंता। एकदम खुशनुमा समय किट्टू की मां उसको स्कूल भेजने की पूरी कोशिश करती पर वो कोई न कोई बहाना बना लेता। (Hindi Interesting Stories) आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है और कभी-कभी तो आधे रास्ते में ही बैठकर पूरा समय गुजार देता और स्कूल की छुट्टी होती तो सारे बच्चों में मिल जाता।

घर आ जाता किट्टू, गिल्ली डंडा खेलने में बहुत ही रुचि रखता और स्कूल से वापस आने के बाद अपने दोस्तों के साथ गिल्ली-डंडा खेलने चला जाता। (Hindi Interesting Stories) कभी-कभी हम लोग आम के बाग में चुपके से घु्स जाते और कच्चे आम तोड़ते थे, उसको मां की बहुत डाट खाना पड़ता फिर भी नहीं मानता। एक बार किट्टू गिल्ली डंडा खेल रहा था कि पड़ोस की लड़की उधर से गुजर रही थी, तो गिल्ली उसके सिर में लग गई और खून बहने लगा। ये देखकर सब डर गए। खासकर किट्टू, जिसने गिल्ली मारी थी। (Knowledge-Enhancing Story) मां के डर से वो घर नहीं जा रहा था, सोच रहा था कि आज बहुत मार पड़ने वाली है। पूरा दिन बीत गया।

मां भी बहुत गुस्से में थी। आज आने दो, रात हो चली थी। करीब 9 बज रहा था, किट्टू को भूख भी लगने लगी। शाम को अब किट्टू के भाई भी उसको खोजने लगे और किट्टू आखिर कार मिल ही गया। वह गांव में पुरानी खड़ी एक बैलगाड़ी के नीचे छिपा था। (Knowledge-Enhancing Story) उसका भाई घर ले गया उस दिन किट्टू की खूब पिटाई हुई। सुबह किट्टू हम लोगों को मिला और उसने बात छिपाते हुए कहा कुछ नहीं हुआ, बस मां ने थोड़ा डाटा, वह फिर शुरू हो गया।

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गांव में ही एक अधेड़ उम्र की महिला रहती थी, वो किट्टू की शरारतों से बहुत परेशान थी। किट्टू भी जब वह सुबह मैदान के लिए जाती तो उसके दरवाजे पर पानी फैला देता, जिससे जब महिला निकलती तो फिसल के गिर जाती। फिर वह किट्टू को ही दोष देती और कभी-कभी कटीली तहनिया उसके घर के सामने रख देता। (Knowledge-Enhancing Story) उसकी शरारत में हम सब शरीक रहे। धीरे-धीरे सब बच्चों को मैच का शौक हो गया। पूरा दिन जिस दिन छुट्टी होती हम लोग सुबह क्रिकेट खेलने पहुंच जाते और पूरा खेल के पसीना हो जाते। शाम को सभी मिलकर गांव के बाहर आ जाते और रोज नए नए शरारत के तरीके खोजते।

मुझे याद है होली के त्योहार के समय की बात है। गांवों में पहले बहुत ही क्रेज होता था। सब बच्चे एक महीने पहले ही बहुत उत्सुक होकर होली में लकड़ियां और उपले होलिका दहन के लिए इकट्ठा किया करते। इस दिन हम सभी मित्रों ने उस महिला के उपले होलिका में डालने की योजना बनाई। वह महिला काफी चौकन्नी रहती और अपने उपलों और लकड़ी की देखभाल करती।

किट्टू ने योजना तैयार की कि हम सब लोग आज रात को 2 बजे के करीब इकट्ठा होकर उसके उपले होलिका में डाल देंगे। हम सभी मित्र रात को पहुंच गए और अपने काम में सफल रहे। सुबह जब उस महिला ने देखा की उसके उपले नहीं है, तो शोर मचाना शुरू कर दिया। और फिर किट्टू को ही दोष देने लगी। किट्टू कहता कि ताई मैं आज रात में कहीं नहीं गया। मेरी तबीयत खराब थी, फिर क्या किट्टू की मां और उस महिला में खूब झगड़ा हुआ। चूंकि उस समय हम सब बच्चे थे। हमको कोई ज्ञान नहीं था, हम सब अपनी शरारत में मस्त थे।

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दो-चार दिन गुजरे किट्टू ने फिर ताई से बदला लेने की योजना बनाई। ताई की एक पुरानी बैलगाड़ी थी, उसमें पहिए थे। उसको डल्लफ बोला जाता था। सभी लोगों ने मिलकर पहियों से सारी हवा निकाल दी। जब निराला ताई ने देखा तो कुछ नहीं बोली और वो भी समझ गई कि अब ये मानने वाला नहीं है।

कुछ दिनों के बाद एक बाबा जी गांव में आए और गांव के बाहर लगभग 500 मीटर की दूरी पर सड़क के किनारे एक छोटे से मंदिर में रुक गए। उधर से ही हम सब स्कूल पैदल जाते, उस बाबा को किट्टू ने परेशान करने की एक नई योजना तैयार की। उधर से हम लोग गुजरते तो बाबा देख कर बोलते, बाबा हुड़, बाबा हुड़, वो चिढ़ जाते और हम सब को दौड़ा लेते। हम सब बच्चे भाग जाते और फिर अगले दिन सुबह स्कूल के लिए निकलते, तो फिर वही, बाबा हुड़, बाबा हुड़, वो फिर दौड़ा लेते। हम सब पर चिल्लाते, ऐसा बहुत दिनों तक चलता रहा। हम लोग अब बड़े होने लगे थे।

एक दिन किट्टू स्कूल नहीं गया। हम सब बच्चे सोच रहे थे कि उसकी मां ने काम के लिए रोक लिया होगा। धीरे-धीरे एक सप्ताह गुजर गया पर किट्टू नहीं आ रहा था, न स्कूल जा रहा, न हमारे साथ खेलने आता। हम सब बच्चे उसके घर पर मिलने गए, तो देखा कि किट्टू बहुत बीमार है और चारपाई पर लेटा है। हम लोगों को देखकर वो रोने लगा। हम सब की आंखें भर आईं। कुछ दिन बीते, किट्टू के घर से जोर जोर से रोने की आवाजे आ रही थी। जब हम लोगों ने जाकर देखा तो पता चला कि किट्टू की वायरल फ़ीवर से मौत हो गई है। ये देख हम सब की आंखे भर आईं। उसके बाद हम सभी लोग उदास रहने लगे धीरे-धीरे सब पढ़ाई लिखाई और अपने काम में व्यस्त हो गए। अब सब लोग जब उसको याद करते है तो सोचते हैं कि हमारा बचपना शायद किट्टू के साथ ही चला गया।

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