Navratri Rangoli: अनुराधा पौडवाल और सोनू निगम का मशहूर भजन ‘आए तेरे भवन, दे दे अपनी शरण’ तो आपने सुना ही होगा। इसमें रंगोली के महत्व को बहुत खूबसूरती से बताया गया है। असल में, नवरात्रि के पावन मौके पर रंगोली बनाने की एक खास अहमियत है। ये सिर्फ घर का आंगन सजाने भर का काम नहीं है, बल्कि यह मां दुर्गा के स्वागत और सकारात्मक ऊर्जा को बुलाने का एक पवित्र तरीका है।

क्यों है रंगोली इतनी खास

हिंदू परंपरा में रंगोली को शुद्धता, समृद्धि और शुभ ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि यह घर से नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मक वातावरण बनाती है। ‘रंगोली’ शब्द खुद संस्कृत के शब्दों ‘रंग’ और ‘आवली’ यानी ‘रंगों की पंक्ति’ से बना है। नवरात्रि में हर रोज नई डिजाइन की रंगोली बनाने का मकसद माता रानी को अपने घर आमंत्रित करना होता है, ताकि उनका आशीर्वाद बना रहे।

ध्यान और भक्ति का संगम

रंगोली बनाना एक तरह की साधना है। अक्सर महिलाएं सुबह-सवेरे उठकर, मंत्रों का जाप करते हुए रंगोली सजाती हैं। इस दौरान उनका पूरा ध्यान भक्ति और घर में सुख-शांति लाने पर केंद्रित होता है। यह काम सिर्फ कलात्मक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी है।

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लोगों को जोड़ने का काम

रंगोली सामाजिक एकता को भी मजबूत करती है। अक्सर परिवार और पड़ोस की महिलाएं और बच्चे मिल-जुलकर रंगोली बनाते हैं, जिससे आपसी सहयोग और प्यार बढ़ता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में रंगोली की अलग-अलग शैलियां हैं, लेकिन हर जगह इसका उद्देश्य एक ही है – देवी का स्वागत और शुभता का वास।

रंगों का अपना अर्थ

रंगोली में इस्तेमाल होने वाले रंगों और सामग्रियों का भी विशेष महत्व है। जैसे- लाल रंग: शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक। पीला रंग: ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक। हरा रंग: विकास और उर्वरता का प्रतीक। नीला रंग: ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक। इन रंगों के साथ गेहूं या चावल का आटा, हल्दी, कुमकुम और फूलों जैसी प्राकृतिक चीजों का उपयोग किया जाता है, जो शुभ मानी जाती हैं।

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