श्रीनगर: केंद्र की सत्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद से जम्मू-कश्मीर में लगातार शांति बहाली की बात की जा रही है। इसके लिए कई सार्थक प्रयास भी किए गए। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर जहां भारत का हिस्सा हो गया। यहां भारतीय संविधान लागू हो गया। वहीं राजनीतिक चोला ओढ़े कई चेहरे भी बेनकाब हो गए आतंकियों का समर्थन करते रहे। केंद्र सरकार की तरफ से कश्मीरी पंडितों को घाटी में फिर से बसाने के प्रयास किए जा रहे हैं तो वहीं बौखलाए आतंकवादी दहशत कायम कर उन्हें अपनी मातृभूमि से दूर रहने को मजबूर कर रहे हैं। आतंकियों ने गुरुवार शाम को तहसीलदार ऑफिस में घुसकर सरकारी कर्मचारी राहुल भट की हत्या कर एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों की चिंताओं को बढ़ा दिया है।

जानकारी के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने तहसील दफ्तर में घुसकर 36 वर्षीय राहुल भट पर गोलियां बरसा दी थीं। हमले के तुरंत बाद राहुल को अस्पताल पहुंचाया गया था, लेकिन यहां उनकी मौत हो गई। इस आतंकी घटना ने कश्मीरी पंडितों का गुस्सा बढ़ा दिया है और गुरुवार देर रात लोग प्रदर्शन करते रहे। राहुल भट की हत्या के बाद बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित ट्रांजिट कैंपों से निकले और सड़कों पर आ गए और अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। पंडितों ने कैंडल मार्च निकाला अपनी रक्षा के लिए उपाय किए जाने की मांग की।

Kashmiri Pandits

बता दें कि वर्ष 1990 में घाटी में आतंकवाद का उभार होने के बाद कश्मीरी पंडितों के साथ बर्बरता की सारी हदें पार की गईं, जिसके चलते बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित पलायन कर देश भर के अलग-अलग हिस्सों में चले गए थे। वहीं कुछ परिवार ट्रांजिट कैंपों में ही ठहर गए। हत्या के विरोध में कश्मीरी पंडितों ने मार्च निकालते हुए कहा कि इस घटना ने उन्हें दहशत में ला दिया है और उनके वापस अपने घर लौटने की उम्मीदों को झटका लगा है।

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गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में आतंकवादी कई बार कश्मीरी पंडित एवं दूसरे राज्यों से आकर बसे अन्य हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बना चुके हैं। आतंकी यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि घाटी में मुसलमानों को छोड़कर कोई सुरक्षित नहीं रहेगा। वहीं मेडिकल स्टोर के मालिक की हत्या या फिर स्कूल में घुसकर टीचर और प्रिंसिपल पर फायरिंग की घटना ने हिंदू समुदाय की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। समझा जा रहा है कि आतंकवादी सुरक्षा बलों की सख्ती और कश्मीरी पंडितों की वापसी के प्रयासों से बौखलाए हुए हैं और हिंदुओं को दहशत में लाने के लिए उनकी नृशंस हत्या कर रहे हैं।

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