Prayagraj: खाकी की रसूख के सामने उसके दाग दिखते नहीं, अपराध के सारे दाग खाकी में मिक्स हो चुके हैं। कोई ऐसा अपराध बचा नहीं है, जिसमें खाकी धारी शामिल न हों। सच यही है कि पुलिस की संरक्षण में सारे अपराध फलते-फूलते हैं। चाहे वह जेल ही क्यों न हो। उमेश पाल हत्याकांड (umesh pal murder case) के बाद से एकबार फिर जेल प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। ये सवाल केवल एक जेल पर नहीं बल्कि यूपी से लेकर गुजरात तक के जेल अधिकारियों के पोल खोल रहे हैं। प्रयागराज उमेश पाल हत्या की जांच कर रहे डीआईजी ने बरेली जेल को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

जांच में उमेश पाल हत्याकांड (umesh pal murder case) की साजिश बरेली जेल के गोदाम में रचे जाने की बात सामने आई है। बरेली जेल में बंद अशरफ (Ashraf) से जेल अधिकारियों की मेहरबानी से गैरकानूनी मुलाकातें कराई जाती थी। डीआईजी (DIG) की जांच में खुलासा हुआ है, इसमें जेलर राजीव मिश्रा और डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह शामिल थे। जेल आरक्षी शिवहरि की संलिप्तता का भी पता चला है। शिवहरि और मनोज गौड़ की अपराधियों से साठगांठ की बात सामने आई है। वहीं इस पूरे मामले में आरोपी जेल कर्मचारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। यही वजह है कि अभी तक इन लोगों के खिलाफ केवल निलंबन और विभागीय कार्रवाई की ही सिफारिश की गई है।

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बिक चुके थे जेल जेल के अधिकारी

जांच में खुलासा हुआ है कि जेल में बंद अतीक के भाई अशरफ से गोदाम में मिलने के लिए छह-सात लोग आते थे। ये लोग 3-4 आईडी का ही इस्तेमाल भी करते थे। वहीं इसके एवज में सद्दा और लल्ला गद्दी जेल अधिकारियों को मोटी रकम देते थे। बता दें कि शिवहरि के साथ गिरफ्तार किए गए सब्जी विक्रेता दयाराम ने भी पूछताछ में कई खुलासे किए हैं। बताया जा रहा है कि 11 फरवरी को दोपहर करीब 1.22 बजे सात-आठ लोग जेल में मिलने आए थे। इस दिन मुलाकात के लिए असद का आधार कार्ड भी दिया गया था। जेल में करीब दो घंटे बिताने के बाद दोपहर 3.14 बजे सभी बाहर निकले थे। अशरफ से 26 सितम्बर, 2021 से 26 जून, 2022 के बीच जेल में नौ मुलाकातें हुईं।

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