होली आई प्रेम के।
लिए अनेक रंग।।
करना है क्या जानिए।
इस होली के संग।।

भेदभाव सब छोड़िए।
मलिए रंग गुलाल।।
सत्य सनातन के लिए।
आया पुनः सुकाल।।

ऊंच नीच कोई नहीं।
सब भारत के पूत।।
भगवा रंग चढ़ाइए।
हो तुम युग के दूत।।

होली के रंग डालिए।
समरसता रस के संग।।
प्रेम मिठाई साथ में।
अमृत हो जाए भंग।।

जल जीवन है जानिए।
होली पंच भूत तरंग।।
पर्यावरण धमाल हो।
हृदयान्तर रंग दें रंग।।

– बृजेंद्र

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