
Dilip Ghosh and Rinku Majumdar: “ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन…” 1981 की फ़िल्म प्रेमगीत के इस मशहूर गाने की पंक्तियाँ जैसे पश्चिम बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष और भाजपा नेत्री रिंकू मजूमदार की नई जीवन यात्रा पर सटीक बैठती हैं। राजनीति के गलियारों में एक मजबूत पहचान बना चुके इन दोनों नेताओं ने अब निजी जीवन में भी एक नई शुरुआत कर ली है।
कोलकाता में हुआ पारंपरिक विवाह
शुक्रवार को कोलकाता स्थित न्यू टाउन में दिलीप घोष के निवास पर बेहद निजी और पारंपरिक अंदाज़ में इस जोड़े ने सात फेरे लिए। इस अवसर पर केवल करीबी रिश्तेदार और मित्र ही उपस्थित रहे। शादी के बाद नवविवाहित जोड़े ने मीडिया से मुख़ातिब होकर सभी को शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद दिया।
Dilip Ghosh, the ultimate wild card of Bengal politics today, united both TMC-BJP on occasion of his marriage. For all the best wishes, he thanks everyone from the bottom of his heart. pic.twitter.com/UCGOmOg8LT
— Sudhanidhi Bandyopadhyay (@SudhanidhiB) April 18, 2025
‘मां की इच्छा थी, इसलिए लिया ये फैसला’: दिलीप घोष
61 वर्षीय दिलीप घोष ने इस विवाह के पीछे अपनी मां की इच्छा को मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा, “अगर मां की इच्छा न होती तो शायद मैं ये कदम न उठाता। अब जब मां खुश हैं, तो सब कुछ ठीक है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस निजी फैसले का उनके राजनीतिक जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्रेम कहानी का दिलचस्प मोड़
शादी से पहले रिंकू मजूमदार ने एक दिलचस्प खुलासा किया। उन्होंने कहा कि मैंने पहले उन्हें प्रपोज किया था, लेकिन उन्होंने तुरंत हां नहीं कहा। तीन महीने बाद, अपनी मां से बातचीत करने के बाद ही उन्होंने शादी के लिए हामी भरी।”
“Just married” – Dilip Ghosh & Rinku Majumdar!
Many congratulations to the newly weds. @DilipGhoshBJP pic.twitter.com/m9Qe5T1aFn
— Pooja Mehta (@pooja_news) April 18, 2025
रिंकू मजूमदार का दूसरा विवाह
जहां यह दिलीप घोष की पहली शादी है, वहीं रिंकू मजूमदार पहले से तलाकशुदा हैं और उनके पहले विवाह से एक बेटा भी है, जो साल्ट लेक में एक आईटी कंपनी में काम करता है। रिंकू ने बताया कि उन्होंने बेटे की सहमति के बाद ही यह दूसरा कदम उठाया।
राजनीति के धुरंधर हैं दिलीप घोष
जन्म: 1 अगस्त 1964, कुलियाना गांव, पश्चिम बंगाल
शिक्षा: मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा
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दिलीप घोष की राजनीतिक यात्रा
1984: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक के रूप में शुरुआत
1999-2007: अंडमान और निकोबार में आरएसएस के प्रभारी
2014: भाजपा में शामिल हुए
2015: पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष बने
2016: खड़गपुर सदर से विधानसभा चुनाव जीता
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