लखनऊ: लखनऊ हाई कोर्ट के महामना सभागार में ‘न्यायिक सुधार एवं अधिवक्ता सुरक्षा’ पर गोष्ठी का उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की तरफ से आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति एआर मसूदी और विशिष्ट अतिथि के रूप में राकेश चौधरी अध्यक्ष अवध बार एसोसिएशन लखनऊ व अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी महासचिव अवध बार एसोसिएशन की गरिमामय उपस्थिति रही।

आयोजक मंडल के अध्यक्ष नितिन मिश्र एडवोकेट चेयरमैन उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी विधि विभाग व सदस्य दिलीप कुमार मिश्र एडवोकेट व अमानुर रहमान एडवोकेट व अभिषेक यादव एडवोकेट व सोमेश त्रिपाठी आदि लोगों के अगुवाई में संपन्न हुआ। गोष्ठी का संचालन दिलीप कुमार मिश्र ने किया।

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कार्यक्रम में न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने सम्बोधित करते हुए कहा कि अधिवक्ता सुरक्षा और न्यायिक सुधार राज्य के लिए दायित्व है, जोकि मौलिक अधिकार अंतर्गत अनुच्छेद 21 व 39 अ के अंदर गारंटी है। यह मांग कोई अनुकंपा नहीं बल्कि अधिवक्ता का अधिकार है और इसके लिए अधिवक्ताओं को राज्य सरकार से इस मांग पर लगातार प्रयास किया गया। परन्तु सरकार इस मुद्दे पर लापरवाही बरतने का कार्य करती रही।

न्यायमूर्ति एआर मसूदी द्वारा कहा कि अधिवक्ताओं के लिए आर्थिक दुश्वारियां कब तक खत्म होगी, पता नहीं चलता। विधि व्यवसाय में बना रहना बना रहना मुश्किल है। विशिष्ट अतिथि अध्यक्ष अवध बार राकेश चौधरी और महासचिव अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने न्यायिक सुधार व अधिवक्ता सुरक्षा पर विचार रखते हुए कहा कि बार के पदाधिकारियों का नैतिक कर्तव्य न्यायिक कार्य में अधिवक्ताओं को प्रोत्साहित करना और बेंच का सहयोग करना है।

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इन प्रमुख बिंदुओं पर हुआ विचार

1. एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट उत्तर प्रदेश में लागू हो।
2. अधिवक्ता हितों को देखते हुए विधान परिषद में 5 प्रतिशत सीट अधिवक्ताओं के लिए आरक्षित हो।
3. अधिवक्ताओं को रियायती दर पर सरकार द्वारा चेंबर एवं आवश्यक आवासीय सुविधा उपलब्ध हो।
4. न्याय के लिए बजट कम से कम जीडीपी का 5 प्रतिशत किया जाए।
5. न्यायिक पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक लोकपाल का गठन किया जाए।
6. अधिवक्ताओं और उनके परिवार को स्वास्थ्य संबंधी बीमा निःशुल्क उपलब्ध हो।
7. न्यायपालिका का आवश्यक विस्तार हो।
8. मुंशी व क्लर्क को 10 साल से अधिक कार्य किए हो उनको 5 लाख का बीमा सुविधा उपलब्ध कराया जाए।

अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी की अपनी बातों में स्पष्ट कहा गया कि अधिवक्ताओं को आत्म विश्लेषण कर अपने गरिमा को भी ध्यान रखना चाहिए समाज में उनके बारे में क्या अवधारणा की जाती है। आयोजक मंडल के अध्यक्ष नितिन मिश्र द्वारा कार्यक्रम में आये सभी लोगों का धन्यवाद करते हुए समापन किया। गोष्ठी को एडवोकेट अमिताभ मिश्रा, एसके यादव, एसी चंद्र, अनस खान, रहमान फैजी, जफर अहमद खान, अभिषेक द्विवेदी, योगेंद्र मिश्र, कृपा शंकर मिश्र, पंडित चंद्र, जमील अहमद खान, अफरोज सहित भारी संख्या में अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया।

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