लखनऊ: कोरोना की संभावित तीसरी लहर बच्चों के लिए संक्रमणकारी नहीं होगी। सीरो सर्वे में यह बात तय हो चुकी है। पहली लहर प्राकृतिक कही जा सकती है, लेकिन आने वाली संभावित लहरें हमारी प्रवृत्ति पर निर्भर करेंगी, इसलिए कोरोना प्रोटोकाल का पालन करने में कोई लापरवाही न बरतें। वयस्कों के मुकाबले बच्चों पर कोरोना संक्रमण का असर कम ही देखने को मिलेगा, क्योंकि उनमें संक्रमण वाहक एस-2 रिसेप्टर कम पाया पाया जाता है। इसके साथ बच्चों के हुए अन्य टीकाकरण, सीरो सर्वे के मुताबिक 56 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी का निर्माण होना और जल्द से जल्द बच्चों का भी टीकाकरण होने की संभावना, इन सभी तथ्यों को देखते हुए बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की संभावना नहीं है, हालांकि हमें सतर्क रहना होगा।

उक्त बातें मुख्य वक्ता केजीएमयू के चिकित्सक डा. सूर्यकांत ने गुरुवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम के 26वें अंक में कहीं। इस कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके अभिभावक सहित लाखों लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।

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डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि टीकाकरण के माध्यम से कोरोना पर काबू पाया जा सकता है। इसलिए टीकाकारण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोरोना तीसरी, चौथी और अन्य लहर हमारे कोरोना संगत व्यवहार पर निर्भर करेगी। यदि हम कोरोना संगत व्यवहार का सही से पालन करते हैं तो यकीनन तीसरी लहर नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर की आशंका की दृष्टि से अक्तूबर और नवंबर का महीना बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि दोनों महीनों में हमारे यहां सबसे ज्यादा उत्सव मनाए जाते हैं। ऐसे में लोगों को संयम बनाते हुए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

उन्होंने कहा कि यदि हम कोरोना संगत व्यवहार से सही से पालन नहीं करते तो दूसरी लहर जैसे भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम में लोगों को बुखार, खांसी और सर्दी जुकाम होना आम बात है क्योंकि ऐसे समय डेंगू, मलेरिया, फ्लू जैसी बीमारियाँ तेजी से फैलती है। जिसको लेकर लोगों के मन में कोरोना संक्रमण की आशंका होने लगती है। उन्होंने कहा कि अगर कम प्रभाव कोरोना हो भी जाये तो कोई बात नहीं। लेकिन आपको इस बात का ध्यान देना कि इससे फेफड़ों को नुकसान न हो, उसके संक्रमण बचना है।

विशिष्ट वक्ता अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश गुप्ता ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर जिस तरह से भयावह बनी उसके लिए हम सभी व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी हैं। कोरोना प्रोटोकाल का पालन करके हम तीसरी लहर को रोक सकते हैं। बच्चों की इम्नूनिटी बढ़ाने के लिए उनका लालन-पालन भारतीय पद्धति के अनुसार से करना होगा। बच्चों को एक कमरे में न सीमित करें उन्हें प्रकृतिक वातावरण में खेलने कूदने व घूमने का अवसार दें। बच्चों को जंक फूड से दूर रखें उन्हे पौष्टिक सब्जियां, फल खाने को दें।

उन्होंने अभिभावकों को त्यौहारों के सीजन में भीड़ भाड़ वाली जगहों से दूर रहने की सलाह दी। जो लोग अन्य शहरों से वापस आने वाले लोगों का जांच कराकर ही घर में प्रवेश की अनुमति दें। उन्होंने कहा कि घर के आसपास सफाई रखें। इससे बीमारियों का खतरा कम होगा। कोरोना से डरने की आवश्यकता नही है उससे लड़ने की आवश्यकता है। कोरोना संक्रमित होने पर योग्य चिकित्सक की सलाह लें।

कार्यक्रम अध्यक्ष अखिल भारतीय संगठन मंत्री, आरोग्य भारती डॉ. अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि तनाव को कम करने के लिए संवाद बहुत जरूरी है। संयुक्त परिवार में रहने से लोगों में तनाव कम रहता है। इसके साथ सीखने की कला व क्रिएटीविटी का विकास होता है। बच्चों को अकेले रहने की आदत न डालें। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि बच्चों फाइबर युक्त भोजन दें, इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। बच्चों को खेल खेल में व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें और उनको पूर्ण नींद दें। इसके अलावां घर और वायुमंडल वातावरण को शुद्ध रखे। उन्होंने कहा कि हमेशा सकारात्मक रहे। इससे आपकी आयु और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। सकारात्मक रहने से हम किसी भी बीमारी से लड़ सकते हैं।

कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन मन्त्री हेमचन्द्र, बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर, सेवाकार्य प्रमुख रजनीश पाठक, अभय सिंह, सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, रजनीश वर्मा, शुभम सिंह, अतहर रजा, शोभित, अभिषेक सहित डिजिटल टीम के कर्मचारी मौजूद रहे।

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