लखनऊ: कोरोना की तीसरी लहर आने की पूरी संभावना है, हालांकि कोरोना के उचित व्यवहार का पालन करने से इसे कुछ हद तक टाला जा सकता है। इससे बच्चों की वैक्सीन तैयार होने तक का समय हमें मिल सकता है। कोरोना से बचाव को लेकर सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन हमें भी अपनी तैयारी करने की जरूरत है। उक्त बातें मुख्य वक्ता केजीएमयू के चिकित्सक डॉ. संजीव वर्मा ने मंगलवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम के 23वें अंक में कहीं। इस कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके अभिभावक सहित लाखों लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।

मुख्य वक्ता डॉ. संजीव वर्मा ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका इसलिए व्यक्त की जा रही है, क्योंकि अभी उन्हें वैक्सीन नहीं लग पाई है। उन्होंने कहा कि बच्चों में कोरोना से संबन्धित एक नई बीमारी ‘मल्टीसिस्टम इनफ़्लामेट्री सिंड्रोम’ यानी एमआईएस-सी पाई गई है, जो इतनी बीमारी नहीं है, जिससे मृत्युदर ज्यादा हो। इस बीमारी से 12 प्रतिशत बड़े बच्चे और 3 प्रतिशत छोटे बच्चे ही प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि फिर से विद्यालय खुलने लगे हैं, लेकिन कोरोना को लेकर बच्चों में भय बना हुआ है, जिस कारण वह स्कूल जाने से घबरा रहे हैं।

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ऐसे में अभिभावकों और शिक्षकों का दायित्व है कि उनके भय को कम करें और उन्हें कोरोना के अनुकूल व्यवहार करना सिखाएं, ताकि वह सुरक्षात्मक माहौल में रह सकें। उन्होंने कोरोना के प्रति सचेत करते हुए कहा कि हम दूसरी लहर में हुई लापरवाही का नुकसान झेल चुके हैं, ऐसे में सभी को कोरोना के अनुकूल व्यवहार करना सीख लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मास्क पहने, सोशल डिस्टेसिंग रखें और बार-बार हाथ जरूर धोएं, ताकि हम कोरोना से सुरक्षित रह सकें।

कार्यक्रम अध्यक्ष राष्ट्रधर्म प्रकाशन के निदेशक सर्वेश कुमार द्विवेदी ने प्रचीन पद्धति को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसे संक्रमण से बचाव के लिए जो उपाय चिकित्सक और वैज्ञानिक बता रहे हैं, उन्हें हमारी प्राचीन संस्कृति व परम्परा में बरसों से अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले हाथ जोड़कर नमस्कार किया जाता था, बिना स्नान के घर में प्रवेश और खाना नहीं मिलता था, जिसे हम भूल गए हैं। बच्चों के पूरे शरीर पर तेल से मालिश होती थी, जिससे इम्युनिटी बढ़ती थी।

उन्होंने कहा कि बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए खान-पान का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने एकल खेल पर जोर देते हुए कहा कि इससे बच्चों में ज्ञान, सामर्थ्य और साहस की वृद्धि होगी। इसके साथ ही कोरोना जैसी कई बीमारियों से बचाने की क्षमता विकसित होगी। कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के पदाधिकारी और डिजिटल टीम के कर्मचारी मौजूद रहे।

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