Khalistan Rally: समय के अनुसार हालात भी बदल जाते हैं। लेकिन कुछ जख्म ऐसे होते हैं, जिन्हें विरोधी रह-रह कर कुरेदते रहते हैं। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री की हत्या में खालिस्तानियों के होने की बात सामने आई थी। भारत में खालिस्तानियों को बैन कर दिया गया है। बावजूद इसके यहां उनके समर्थकों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। नए कृषि कानून के विरोध में भी खलिस्तानियों के शामिल होने की बात सामने आई थी, लेकिन विपक्षी पार्टियों और कुछ मीडिया घरानों ने इस सरकार और सरकारी जांच एजेंसियों का प्रोपेगंडा करार देकर खारिज कर दिया। जबकि सच इसके ठीक उलट है। देश में खालिस्तान का गुट तेजी से मजबूत हो रहा है।

इसी का नतीजा है कि ऑस्ट्रेलिया में इस समय माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया है। यहां लगातार खालिस्तान समर्थक लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इतना ही नहीं 15 जनवरी को भी खालिस्तानियों ने एक विशाल रैली निकालकर भारत की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन किया। मालूम हो कि 6 जनवरी, 1989 को इंदिरा के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को फांसी की सजा दी गई थी। ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थकों की रैली में इंदिरा गांधी के इन्हीं दोनों हत्थारों का महिमामंडन किया। जानकारी के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में 29 जनवरी को खालिस्तान एक जनमत संग्रह करने वाला है, जिसकी जानकारी भी लोगों को इस रैली में दी गई।

गौरतलब है कि 15 जनवरी को खालिस्तानियों की रैली में, कारों और ट्रकों में इंदिरा गांधी के दोनों हत्यारों के आदमकद पोस्टर के साथ-साथ जरनल सिंह भिंडरावाले का पोस्टर भी लगा था। ज्ञात हो कि भिंडरावाले ने ही पंजाब में सिख राज्य के स्वायत्तता के लिए अभियान छेड़ा था। इस दौरान रैली के आयोजकों ने “द लास्ट बैटल” की घोषणा भी की। बताया जा रहा है कि वह खालिस्तान जनमत संग्रह को लेकर 29 जनवरी को मेलबोर्न में वोटिंग कराने वाले हैं।

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ऑस्ट्रेलियन हिंदू मीडिया की ओर से ट्विटर पर पोस्टर शेयर किया। इसमें लिखा है कि “प्लंपटन गुरुद्वारा इस पोस्टर में इंदिरा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन करता है। यह कैसे किसी चैरिटी का काम हो गया। क्या ऑस्ट्रेलिया में चैरिटी और नॉट फॉर प्रॉफिट्स इस तरह के कामों को सही मानते हैं।” काबिले गौर है कि भारत ने खालिस्तान जनमत संग्रह मतदान को लेकर ऑस्ट्रेलियाई सरकार से कई बार तीखी आपत्ति दर्ज करा चुकी है।

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