Karauli Baba: भारत जैसे धार्मिक देश में कई धर्मों के लोगों की आस्था बसती है। यहां हर धर्म के लोग बसती हैं उनके धर्म की स्वीकार्यता भी मिली है। इन सबके बीच हिंदू धर्म की चर्चा सबसे ज्यादा होती है। जबकि अन्य धर्मों के मुताबिक यहां कोई कट्टरता नहीं है। सभी धर्मों में सरल होने की वजह से हिंदू धर्म का मजाक भी सबसे ज्यादा बनाया जाता है, और यहां भी लोग धर्म-जाति के आधार पर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं। जबकि सनातन धर्म के मुताबिक जाति के आधार पर सबका कार्य बंटा हुआ था। समानता के नाम पर अन्य जातियों और अपराधियों के वर्चस्व के चलते आज हिंदू धर्म पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं। हालांकि विवाद अन्य धर्मों में भी है, लेकिन हिंदुओं को छोड़कर बाकी किसी में धर्म का विरोध नहीं किया जाता। इधर बीच कानपुर के करौली बाबा (Karauli Baba) अचानक से काफी चर्चा में आ गए हैं। उनपर मारपीट करने का आरोप लगे हैं। इस संदर्भ में मुकदमा भी दर्ज किया गया है।

आरोप है कि संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली बाबा (Santosh Singh Bhadauria aka Karauli Baba) के चेलों ने नोएडा के डॉक्टर पर हमला कर लहूलुहान कर दिया। इस हमले में डॉक्टर बुरी तरह से घायल हो गए। बताया जा रहा है पिटाई का कारण सिर्फ इतना था कि उसने करौली बाबा (Karauli Baba) के मंत्रोच्चारण से तुरंत लाभ न मिलने की शिकायत की थी। पेशे से डॉक्टर और करौली बाबा (Karauli Baba) के भक्त सिद्धार्थ चौधरी ने कानपुर के बिधनू थाने में अपने साथ मारपीट किए जाने की शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि वह यूट्यूब पर संतोष भदौरिया के वीडियो देखा करते थे और उनसे काफी प्रभावित थे। वह अपने पिता और पत्नी के साथ नोएडा से करौली बाबा के आश्रम गए थे। यहां करौली बाबा से शिकायत करने पर उनके अनुयाइयों ने मारपीट की।

कौन हैं करौली बाबा (Karauli Baba)

डॉक्टर के साथ मारपीट की घटना के बाद करौली बाबा नाम विवादों में आ गया है। हर कोई जानना चाह रहा है कि कौन हैं करौली बाबा? बता दें कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद के रहने वाले संतोष सिंह भदौरिया को किसान आंदोलन के दौरान लोकप्रियता मिली। किसान यूनियन के नेता संतराम सिंह की हत्या के बाद किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने संतोष सिंह भदौरिया को कानपुर के सरसोल इलाके की बागडोर सौंप दी थी। महेंद्र सिंह टिकैत का निधन मई 2011 में हो गया था। जनवरी, 2021 में महेंद्र सिंह टिकैत के दो बेटों ने केंद्र सरकार की तरफ से पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इसमें नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख थे और राकेश टिकैत इसके प्रवक्ता।

प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ हुई झड़प की कई घटनाओं के बाद कई किसानों को गिरफ्तार किया गया। इसी दौरान संतोष सिंह भदौरिया किसानों के बीच एक लोकप्रिय हो गए। हालांकि संतोष सिंह भदौरिया को यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल से निकटता के चलते भी पहचान मिली। बाद में उन्होंने कोयला निगम के अध्यक्ष का पद भी संभाला, लेकिन कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से विरोध होने पर उन्हें हटा दिया गया था। इसके बाद में संतोष सिंह भदौरिया ने करौली आश्रम का निर्माण कराया। उन्होंने अपने तंत्र-मंत्र का प्रचार करने के लिए यूट्यूब का सहारा लिया, जिससे उन्हें पैसे भी मिलते थे। महज तीन वर्षों में संतोष सिंह भदौरिया से करौली बाबा बनकर उन्होंने करोड़ों रुपये का साम्राज्य खड़ा कर दिया। बाबा करौली उर्फ संतोष सिंह भदौरिया के बारे में दावा किया जाता है कि वह एक ही झटके में लंबाई तक बढ़ा देते हैं।

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करौली बाबा (Karauli Baba) के खिलाफ आपराधिक मामले

संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली बाबा के खिलाफ वर्ष 1992-95 के बीच हत्या और सीएलए के सेवन समेत कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। कहा यह भी जाता है कि उनपर कई जगहों पर अवैध तरीके से जमीन कब्जा करने का आरोप है और वह पुलिस किसान नेता बन गए। संतोष सिंह भदौरिया पर कोतवाली थाना क्षेत्र में चर्च की जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप है। इतना ही नहीं 14 अगस्त, 1994 को तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह के आदेश पर संतोष भदौरिया के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई। संतोष भदौरिया ने अपने ऊपर से एनएसए के आरोपों को हटाने के लिए गृह सचिव को एक पत्र भी भेजा था, जिसमें बताया गया था कि वह वर्ष 1989 से किसान यूनियन में कार्यकर्ता हैं।

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