Kanpur News: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के परिणाम राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा के लिए बेहद निराशाजनक रहा है। हालांकि हार और हताशा से जूझ रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी की हार स्वीकारने की जगह प्रशासन और भाजपा सरकार को कठघरे में खड़े करने में लगे हुए हैं। जबकि सच इसके उलट है। अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का चुनाव में प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है, बावजूद इसके अखिलेश यादव खुद में मंथन करने की जगह हार का ठीकरा दूसरों पर फोड़कर अपनी नाकामियों को छिपाने की कोशिश करते रहते हैं। यूपी निकाय चुनाव में सपा के खराब प्रदर्शन पार्टी की चिंता बढ़ाने वाली है। निकाय चुनाव में कानपुर (Kanpur) में समाजवादी पार्टी (SP) ने पूरा जोर लगा दिया था। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) की तिकड़ी कानपुर में धुआंधार प्रचार किया, लेकिन जो नतीजे आए हैं, उससे समझा जा सकता है कि कानपुर में परिवार की तिकड़ी को जनता ने नकार दिया।

सपा की मेयर प्रत्याशी को बीजेपी की प्रत्याशी से बड़े अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा। इतना ही नहीं सपा विधायकों मोहम्मद हसन रूमी (Mohammad Hassan Roomi) और अमिताभ बाजपेई (Amitabh Bajpai) अपने वार्ड के पार्षदों तक को भी नहीं जीता पाए। इसी के साथ ही सपा जिलाध्यक्ष के भाई भी चुनाव हार गए। चुनाव परिणाम से साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में सपा साफ हो गई है। बता दें कि निकाय चुनाव से पहले बीजेपी में हुई बगावत के चलते सपा को यहां अपना मेयर बनता हुआ दिख रहा था। सपा ने कानपुर में महापौर पद पर वंदना बाजपाई को उतारने के साथ ही उनके प्रचार में अपने टॉप लीडर्स को भी उतार दिया। मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने किदवई नगर विधानसभा से लेकर लंबा रोड शो किया, लेकिन जनता पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

मेयर पद पर बड़े अंतर से जीती बीजेपी

कानपुर में सपा का मेयर बनाने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। शिवपाल सिंह यादव ने कई विधानसभाओं में कार्यकर्ता सम्मेलन करके जन समर्थन हासिल करने की पूरी कोशिश की। प्रचार के अंतिम दिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद कानपुर पहुंचे और संकरी-संकरी गलियों में प्रचार रथ लेकर बीजेपी के दिग्गजों के दिलों को थामने का दावा किया, लेकिन जब रिजल्ट आया तो सारे दावों की हवा निकल गई। इतना ही नहीं सपा जिस लड़ाई को कांटे का मुकाबला बताया जा रहा था, वह नतीजा एकतरफा दिखा। बीजेपी की मेयर प्रत्याशी प्रमिला पांडे ने 1 लाख 80 हजार मतों के अंतर से सपा की वंदना बाजपेई को करारी शिकस्त दी।

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अखिलेश के दावों की हवा निकाल रहे आंकड़े

हर बार की तरह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार भी उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव की चुनाव में मिली करारी हार का ठीकर प्रशासन पर फोड़ने कोशिश कर रहे हैं। जबकि सच यह है कि राज्य के हर जिलों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। अगर चुनाव में बेइमानी हुई होती तो क्या केवल सपा के नेता हारते। ऐसे में तो हर दल के नेताओं को हार का सामना करना पड़ता। वहीं सपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े कई पूर्व समाजवादी नेताओं ने जीत हासिल की है। इससे साफ होता है कि अखिलेश यादव ने टिकट बंटवारे में फेल हुए हैं। उन्होंने उन प्रत्याशियों का टिकट काटा, जो अपने बदौलत चुनाव जीत सकते थे।

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