नई दिल्ली: गर्मी के दिनों में लोग वेकेशन पर जाना पसंद करते हैं। कोविड के बाद से AC कोच में ट्रैवल करने वालों को कई तरह की टेंशन भी होती है। मसलन बेडरोल की सुविधा मिलेगी कि नहीं? लास्ट मोमेंट पर अगर जाना कैंसिल हो गया तो क्या टिकट दूसरे के नाम पर हो सकती है? ऐसे कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए पढ़िए पूरी खबर…

कोविड-19 के दौरान AC डिब्बों में बंद की गई बेड रोल की सुविधा अभी भी सभी ट्रेनों में बहाल नहीं हो पाई है। इसलिए यात्रियों को समझ नहीं आ रहा है कि जिस ट्रेन से वे ट्रैवल कर रहे हैं, उसमें बेडरोल मिलेंगे या नहीं। ऐसे लोगों को बता दें कि यह सुविधा बहुत सी ट्रेनों में फिर से उपलब्ध हो गई है।

AC डिब्बों में मिलेंगे कंबल-चादर

ऐसे ट्रेनों की लिस्ट काफी लंबी है। इसलिए जिन ट्रेनों में चादर-कंबल (लिनेन) की सुविधा शुरू हो गई है, उसकी लिंक नीचे दे रहे हैं। आप लिंक पर क्लिक कर चेक कर सकते हैं कि जिस ट्रेन में आपका रिजर्वेशन है, उसमें यह सुविधा मिल रही है या नहीं।

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भोपाल रेल डिविजन के जनसंपर्क अधिकारी सूबेदार सिंह कहते है, ‘भोपाल की लगभग सभी ट्रेनों में बेडरोल की सुविधा दोबारा शुरू की जा रही है। इसके लिए यात्रियों से कोई एक्सट्रा चार्ज नहीं लिया जाएगा।’ वहीं, रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी भी यही बताते हैं कि बाकी ट्रेनों में भी यात्रियों को एक्सट्रा पैसे देने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि बेडराेल के चार्ज AC बर्थ की रिजर्वेशन टिकट में पहले ही जोड़ दिए गए हैं।

रिजर्वेशन

ज्यादातर लोग स्टेशन काउंटर पर टिकट बुक करवाने की जगह ऑनलाइन रिजर्वेशन करवाना पसंद करते हैं। ऐसे लोगों को बता दें कि रेलवे ने ऑनलाइन टिकट बुक करने के लिए नियमों में एक बदलाव किया है। इसलिए टिकट रिजर्वेशन के पहले नए नियम जान लें।

क्या है नया नियम

नए नियम के अनुसार अब 1 यूजर ID से ज्यादा टिकट बुक करवा सकते हैं। अगर आपकी रेलवे की ID आधार कार्ड से लिंक है तो आपको और ज्यादा फायदा मिलेगा।

आपने टिकट करवा लिया। बुकिंग कंफर्म है, लेकिन लास्ट मोमेंट पर कोई मीटिंग या जरूर काम की वजह से आपके जाने का प्लान कैंसिल हो गया, तो टिकट का पैसा गया? नहीं, नए नियम के मुताबिक आप अपना टिकट किसी करीबी रिश्तेदार को दे सकते हैं।

ट्रांसफर करने के नियम

इसे माता, पिता, भाई, बहन, बेटा, बेटी, पति और पत्नी के नाम पर ट्रांसफर कर सकते हैं। यात्री को ट्रेन छूटने के 24 घंटे पहले एक रिक्वेस्ट देनी होती है। फिर टिकट पर से यात्री का नाम काटकर उस सदस्य का नाम डाल दिया जाता है, जिसके नाम पर टिकट को ट्रांसफर किया जा रहा है।

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TTE जगाकर टिकट चेक नहीं कर सकते

अक्सर ऐसा होता है कि ट्रेन में आपके सोने के बाद TTE टिकट चेक करने आते हैं और आपको जगाकर टिकट चेक करते हैं, लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर सकते। नए नियम के अनुसार, अगर आप सुबह से ट्रेन की यात्रा पर हैं तो रात 10 बजे के बाद TTE आपको नींद से जगाकर ID और टिकट नहीं चेक कर सकते हैं।

टिकट चेक करने का नियम

TTE सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक टिकट चेक कर सकते हैं। सुबह से यात्रा करने वालों को TTE रात में डिस्टर्ब नहीं कर सकते। हालांकि, जो यात्री रात 10 बजे के बाद ट्रेन में चढ़ते हैं, TTE उनकी टिकट और ID चेक कर सकते हैं।

अगर कोई यात्री ट्रेन में यात्रा कर रहा है और अपनी सीट तक नहीं पहुंचा है तो TTE आपकी सीट ट्रेन के अगले दो स्टॉप तक किसी दूसरे यात्री को अलॉट नहीं कर सकते। यानी जब यात्री अपने बोर्डिंग स्टेशन के अगले दो स्टेशन तक अपनी सीट पर नहीं पहुंचता है तो TTE यह मान लेगा कि आरक्षित सीट वाले यात्री ने ट्रेन नहीं पकड़ी है। इसलिए तीसरे स्टेशन के बाद वो सीट दूसरों को दी जा सकती है।

सीट चयन का तरीका

ट्रेन में रिजर्वेशन का अलग तरीका है। ट्रेन में सुरक्षा एक बड़ी जिम्मेदारी है। इस वजह से रेलवे ने अपने बुकिंग सॉफ्टवेयर को इस तरह डिजाइन किया है कि हर बोगी में सामान लोड बांटा जा सके। एक ट्रेन में S1 से लेकर S10 नंबर वाले स्लीपर कोच हैं और सभी कोच में 72-72 सीटें हैं। उस ट्रेन में जब कोई पहली बार टिकट बुक करेगा तो सॉफ्टवेयर मध्य कोच में एक सीट आवंटित करेगा– जैसे कि कोच S5, 30-40 नंबर की सीट मिलेगी।

सॉफ्टवेयर सबसे पहले नीचे की सीट बुक करता है, ताकि गुरुत्वाकर्षण केंद्र कम मिले। ट्रेन में सीटें, बीच की सीटों (36) से शुरू होकर गेट के पास की सीटों यानी 1-2 या 71-72 से निचली सीटें से ऊपरी तक भरी जाती हैं। आखिरी में टिकट बुक करने पर ऊपर की सीट आवंटित की जाती है।

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