Health tips: अस्थमा (दमा) फेफड़ों की ऐसी बीमारी है जिसके कारण व्यक्ति को साँस लेने में कठिनाई होती है। यह फेफड़ों में वायुमार्ग से जुड़ी एक बीमारी है। दमा होने पर श्वास नलियों में सूजन हो जाती है और श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। इन वायुमार्गों से हवा फेफड़ों के अन्दर और बाहर जाती है। सूजन बढ़ने से वायुमार्ग के चारों ओर मांसपेशियों के कसने से साँस लेने में कठिनाई के साथ खाँसी, घरघराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।

खाँसी के कारण फेफड़े से कफ उत्पन्न होता है, लेकिन इसको बाहर लाना काफी कठिन होता है। अनेक लोग चाहते हैं कि अस्थमा का जड़ से इलाज करें लेकिन उचित तरीके से अस्थमा का घरेलू उपचार नहीं करने के कारण ऐसा नहीं हो पाता है। बस्ती जिला चिकित्सालय में तैनात आयुष चिकित्साधिकारी डा. वीके वर्मा से अस्थमा के बारे में विस्तार से बातचीत की गई। आइए जानते हैं कि आपको अस्थमा का जड़ से इलाज करने के लिए क्या करना चाहिए।

अस्थमा क्या है

आयुर्वेद में अस्थमा को तमक श्वास कहा गया है। यह वात एवं कफ दोष के विकृत होने से होता है। इसमें श्वास नलियाँ संकुचित हो जाती हैं जिसके कारण छाती में भारीपन का अनुभव होता है तथा साँस लेने पर सीटी जैसी आवाज आती है। डा. वर्मा ने कहा कि आप आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक तरीके से अस्थमा का घरेलू उपचार भी कर सकते हैं।

अस्थमा के प्रकार

अस्थमा कई प्रकार का होता है। जैसे पेरिनियल अस्थमा, सिजनल अस्थमा, एलर्जिक अस्थमा, नॉन एलर्जिक अस्थमा, अकुपेशनल अस्थमा, एलर्जिक अस्थमा, नॉन एलर्जिक अस्थमा, सिजनल अस्थमा अस्थमा आदि।

अस्थमा के लक्षण

दमा या अस्थमा के रोगी को सबसे पहले सांस लेने में तकलीफ होती है। लक्षणों का जितनी जल्दी पता चलेगा उतनी ही जल्दी अस्थमा का इलाज होना मुमकिन है। इन लक्षणों की पहचान कर आप अस्थमा का घरेलू उपचार कर सकते हैं। बार-बार खाँसी आना। अधिकतर दौरे के साथ खाँसी आना। साँस लेते समय सीटी की आवाज आना। छाती में जकड़ाहट तथा भारीपन। साँस फूलना। खाँसी के समय कठिनाई होना और कफ न निकल पाना। गले का अवरुद्ध एवं शुष्क होना। बेचैनी होना। नाड़ी गति का बढ़ना अस्थमा के लक्षणों में शामिल है।

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अस्थमा का घरेलू उपचार

दमा के मरीज को बारिश और सर्दी और धूल भरी जगह पर से बचना चाहिए। बारिश के मौसम में नमी के बढ़ने से संक्रमण बढ़ने की संभावना होती है। ज्यादा ठण्डे और ज्यादा नमी वाले वातावरण में नहीं रहना चाहिए, इससे अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं। घर से बाहर निकलने पर मास्क लगा कर निकलें। सर्दी के मौसम में धुंध में जाने से बचें। ताजा पेंट, कीटनाशक, स्प्रे, अगरबत्ती, मच्छर भगाने का कॉइल का धुआँ, खुशबुदार इत्र से जितना हो सके बचे। धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों से दूर रहें। इसके अलावा जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने पर इन दमा के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

आहार का रखें ध्यान

गेहूँ, पुराना चावल, मूँग, कुल्थी, जौ, पटोल का सेवन करें। अस्थमा के मरीजों को आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। पालक और गाजर का रस अस्थमा में काफी फायदेमंद होता है। आहार में लहसुन, अदरक, हल्दी और काली मिर्च को जरूर शामिल करें, यह अस्थमा से लड़ने में मदद करते हैं। गुनगुने पानी का सेवन करने से अस्थमा के इलाज में मदद मिलती है। शहद का सेवन करें।

इनका सेवन न करें

मछली, गरिष्ठ भोजन, तले हुए पदार्थ न खाएँ। अधिक मीठा, ठण्डा पानी, दही का सेवन न करें। अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए। कोल्ड ड्रिंक, ठण्डा पानी और ठण्डी प्रकृति वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए। अण्डे, मछली और मांस जैसी चीजें अस्थमा में हानिकारक है। प्रिजरवेटिव युक्त एवं कोल्डड्रिंक आदि का बिल्कुल भी सेवन न करें, इससे सांस की बीमारी का इलाज में बाधा उत्पन्न होती है। नियमित रूप से प्राणायाम एवं सूर्य नमस्कार करने से अस्थमा से राहत मिलती है। ठण्डे तथा नमीयुक्त वातावरण में न रहें। अत्यधिक शारीरिक व्यायाम न करें।

घरेलू उपाय

लहसुन अस्थमा में फायदेमंद है। लहसुन अस्थमा के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है। 30 मि.ली. दूध में लहसुन की पाँच कलियाँ उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से अस्थमा का जड़ से इलाज होता है।

अंजीर का प्रयोग

अंजीर के सूखे फल कफ को जमने से भी रोकते हैं। सूखी अंजीर को गर्म पानी में रातभर भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट इसे खा लें। ऐसा करने से श्वास नली में जमा बलगम ढीला होकर बाहर निकलता है और इससे संक्रमण से भी राहत मिलती है साथ ही अस्थमा का सफल इलाज होता है।

अजवाइन फायदेमंद

अस्थमा से अनेक लोग पीड़ित रहते हैं। अगर आप भी अस्थमा से पीड़ित हैं तो आपके लिए बहुत ही आसान उपाय है। अस्थमा का जड़ से इलाज करने के लिए आप अजवायन डालकर इसे उबालें और इस पानी से उठती भाप लें। यह अस्थमा का जड़ से इलाज करता है।

मेथी के फायदे

मेथी हर घर में होती है। आप मेथी के इस्तेमाल से अस्थमा का सफल इलाज कर सकते हैं। अस्थमा का घरेलू उपचार करने के लिए आप मेथी का प्रयोग कर सकते हैं। शरीर की भीतरी एलर्जी को खत्म करने में मेथी सहायक होती है। मेथी के कुछ दानों को एक गिलास पानी के साथ तब तक उबालें जब तक पानी एक तिहाई न हो जाए। इस पानी में शहद और अदरक का रस मिलाकर रोज सुबह-शाम सेवन करें। यह अस्थमा का सफल उपचार का तरीका है।

अदरक का इस्तेमाल

दमा के लिए अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं। अदरक की चाय में लहसुन की दो पिसी कलियाँ मिलाकर पिएं। यह अस्थमा का सफल इलाज करता है। अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मेथी का काढ़ा और स्वादानुसार शहद इस मिश्रण में मिलाएँ। दमा के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाभदायक है।

सरसों के तेल से मसाज

अस्थमा होने पर छाती और रीढ़ की हड्डी पर सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करनी चाहिए। मालिश करने के कुछ देर बाद स्टीमबाथ भी करनी चाहिए।

विटामिन सी युक्त आहार

विटामिन-सी अस्थमा में बहुत लाभदायक है। विटामिन-सी युक्त फलों और सब्जियों का सेवन करें। नींबू, संतरे, जामुन, स्ट्रॉबेरी एवं पपाया विटामिन-सी के अच्छे स्रोत हैं। इनका सेवन करें। सब्जियों में फूलगोभी एवं पत्तागोभी का सेवन करें। इससे अस्थमा का जड़ से इलाज होता है।

हल्दी-दूध का प्रयोग

स्वास्थ्य के लिए हल्दी बहुत ही गुणकारी है। इसलिए अगर आप अस्थमा का सफल उपचार करना चाहते हैं तो दूध में हल्दी डालकर पिएँ। इसके अलावा आप दूध में लहसुन पकाकर भी पी सकते हैं।

शहद का मिश्रण

शहद का मिश्रण दमा के मरीजों के लिए लाभकारी है। अस्थमा का दौरा बार-बार न पड़े इसलिए हल्दी और शहद मिलाकर चाटना चाहिए। यह अस्थमा का सफल इलाज है।

तेजपत्ता फायदेमंद

तेजपत्ता और पीपल के पत्ते की 2 ग्राम मात्रा को पीसकर मुरब्बे की चाशनी के साथ खाएँ। प्रतिदिन इसे खाने से अस्थमा में लाभ होता है।

तुलसी अस्थमा में फायदेमंद

सोंठ, सेंधा नमक, जीरा, भुनी हुई हींग और तुलसी के पत्ते को पीसकर एक गिलास पानी में उबाल लें। इसे पीने से अस्थमा की समस्या दूर हो जाएगी।

सहजन का सेवन करें

आयुर्वेद के अनुसार सहजन में कफ को कम करने वाला गुण होता है और इसी गुण की वजह से अस्थमा में इसका सेवन लाभकारी माना जाता है। अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो अपनी डाइट में सहजन की सब्जी ज़रूर शामिल करें।

आंवला पाउडर

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार आंवला में रसायन का गुण होता है जोकि हमारी इम्युनिटी को बढ़ाकर अस्थमा को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए आपको नियमित रूप से आंवला या आंवला पाउडर का सेवन करना चाहिए। आप चाहें तो आंवला कैंडी का भी सेवन कर सकते हैं।

बड़ी इलायची

बड़ी इलायची में कफ शमन का गुण होता है अर्थात यह शरीर में कफ की मात्रा में कमी लाता है। कफ में कमी होने से अस्थमा के लक्षणों में कमी आती है, इसीलिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ अस्थमा के मरीजों को बड़ी इलायची के सेवन की सलाह देते हैं।

होम्योपैथी में उपचार

एकोनाइट, बेलाडोना, आर्सेनिक एल्बम, एन्टिम टार्ट, इपिकाक, स्पन्जिया, नैट्रमसल्फ, नेट्रमम्योर, कोर्बोवेज, हिपरसल्फ, ब्लाटा ओरियन्टैलिस क्यू, एम्ब्रा ग्रीसिया, लोवेलिया, पैसीफ्लोरा, सोनेगा, इफेड्रिन, कालीसल्फ, कालीम्यूर, कालीफास को चिकित्सक की सलाह और उसकी देखरेख में लक्षाण के अनुसार 30, 200 सा मदर टिंचर के रूप में ले सकते हैं।

डाक्टर से कब मिलें

आमतौर पर सुबह-सुबह या व्यायाम और ठण्डी हवा की प्रतिक्रिया के कारण इसके लक्षण और भी बिगड़ जाते हैं। उपचार न करने पर फेफड़ों में वायु प्रवाह गंभीर रूप से अवरुद्ध हो जाता है और मृत्यु का कारण बनता है। जब दमा के लक्षण जटिल होने लगे और पांच दिनों से ज्यादा दिनों तक रहें तो तुरन्त डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। आपको अस्थमा का सफल उपचार करने के लिए ऊपर के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। आपको क्या खाना है और क्या नहीं खाना है इसका ध्यान रखना चाहिये।

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