देववन्दिता मिश्रा “प्रज्ञा”

विद्यार्थी जीवन में रंगमंच पर अभिनय करने वाला युवा फिल्मों में अभिनय करने की इच्छा पाले एक नौजवान अचानक जब सब लोग सोये थे, तब चुपके से घर से निकल पड़ा खुद की तलाश में। बात 1 नवम्बर, 2008 की हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीकॉम तृतीय वर्ष की पढ़ाई करने के दौरान 19 वर्ष का युवा घर-परिवार, संसारी जीवन से निकल कर आयोध्या धाम में स्थित लोमश ऋषि आश्रम के महंथ स्वामी शिवचरण दास महाराज द्वारा दीक्षा प्राप्त कर खुद की खोज में लग गया। उस युवा को आज हम डिजिटल बाबा के नाम से जानते हैं। डिजिटल बाबा स्वामी राम शंकर बताते है कि करीब 5 माह गुरु आश्रम में रहने के बाद हमने अनुभव किया कि हम आश्रम के जिम्मेदारियों में उलझते जा रहे हैं। अतः एक दिन अपने गुरु महराज से हमने कहा कि मुझे सनातन शास्त्र का परम्परागत ढंग से अध्ययन करना है। इस पर गुरु महराज ने कहा कि जप-तप, सेवा-साधना करो, एक दिन तुम चमत्कार करने लगोगे। फिर दुनिया भर के लोग तुम्हे नमस्कार करेंगे।

हमने अपने गुरु से कहा कि मुझे शास्त्र का मर्म समझना है, पढ़ाई करनी हैं। मेरी जिद को देखकर गुरु ने कहा कि तुम पढ़ना चाहते हो तो जाओ पढ़ो पर हमसे उम्मीद मत रखना कि तुम्हें पढ़ाई हेतु हम खर्च भेजते रहें। अपने गुरु के इस वचन को सुन कर हम बहुत आहत, हुए आज भी सोचता हूँ, काश उन्होंने ऐसा न कहा होता, तो उनका सम्मान मेरे जेहन में आज भी बरकरार रहता। हम तो स्वयं उनसे कुछ अपेक्षा नहीं किये थे। हां उनके इस कथन के बाद मन बार-बार सोचता है कि ऐसे गुरु से भले तो माता-पिता हैं, जो हमारी रक्षा के लिए हमारे विकास हेतु अपना सुख-चैन खोकर लगातार धन कमाने के प्रयास में लगे रहते है, ताकि उनका बच्चा अच्छे से पढ़ लिख सके। आगे चलकर एक दिन कामयाब व्यक्ति बन सके। मैं आज भी सोचता हूँ कि माता-पिता के सामान गुरु का व्यवहार शिष्य के लिये क्यों नहीं होता? काश गुरु! माता-पिता के सामन मिलते तो शिष्य की कितनी उन्नति होती।

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खैर अपने अध्ययन उद्देश्य के प्रति संकल्पित होकर हम आश्रम से गुरुकुल की ओर प्रस्थान किये। सर्वप्रथम गुजरात के साबर कांठा के रोजड़ में स्थित वानप्रस्थ साधक ग्राम आश्रम में रह कर अध्ययन किये, कुछ समय हरियाणा के जींद में स्थित गुरुकुल कालवा में पढ़ाई किये, उसके बाद मेरे जीवन के सबसे प्रमुख पड़ाव गुरुकुल ‘सांदीपनि हिमालय’ हिमाचल के धर्मशाला में हमें आश्रय मिला। यहां करीब 2 वर्ष, 9 माह रहकर वेदांत का अध्ययन-श्रवण किया। सच कह रहा हूँ, मेरे जीवन में इस गुरुकुल और यहां बिताये गये जीवन काल का बड़ा उपकार हैं। इसके बाद 4 माह झारखण्ड के देवघर स्थित रिखिआ पीठ में योग अभ्यास को आचार्य जन के सन्निधि में जाने समझे।

वर्ष 2013 में महाराष्ट्र के लोनावला में स्थित विश्व प्रसिद्ध कैवल्य धाम योग संस्थान में रह कर 9 माह तक योग शास्त्र व योग अभ्यास के विभिन्न पहलुओं को जाना समझा अभ्यास में उतारा, स्वामी राम शंकर बताते है कि संगीत गायन में हमारी बहुत रूचि है आध्यात्मिक अध्ययन पूर्ण होने के बाद संगीत सीखने समझने हेतु 2 वर्ष तक इन्दिरा कला संगीत विश्विद्यालय खैरागढ़ छत्तीसगढ़ में रह कर हमने जीवन का अनुपम अनुभव प्राप्त किया। उसके बाद वर्ष 2017 में घूम-घूम कर रहने हेतु हिमाचल में एक कुटियाँ तलाश कर रहे थे। राम जी की कृपा से शिवभूमि बैजनाथ धाम में नागेश्वर महादेव मन्दिर में रहने हेतु हमें स्थान प्राप्त हुआ, जहां पर हम रह रहे हैं।

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स्वामी राम शंकर सोशल मीडिया फेसबुक, कू ऐप, इंटाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर सभी सोशल मंचों पर एक्टिव रहते है, समय-समय पर आध्यात्म, धर्म, संस्कृति एवं समसामयिक विषयों पर वीडियो बना कर अपलोड करते हैं। साथ ही लाइव सेशन के जरिये सवालों का जबाब भी देते है। आध्यात्मिक जिज्ञासु के ऑनलाइन या नार्मल काल पर सहज संवाद भी स्थापित करते हैं। डिजिटल बाबा के प्रवचनों की वीडियो शूटिंग हो या एडिटिंग या फिर इस कार्य में आवश्यक समस्त उपकरण के उपयोग की बात हो सब बाबा रामशंकर के पास है उसका बखूबी इस्तेमाल करना भी जानते हैं। इसी वजह से मीडिया हॉउस इन्हें डिजिटल बाबा के नाम से रूबरू करती हैं।

देश भर के अलग-अलग भागों में स्वामी राम शंकर निःशुल्क श्रीरामकथा, श्रीमद्भागवत कथा सुनाने जाते है। डिजिटल बाबा कहते है कि इस सेवा के बदले में हम किसी आयोजक से कोई सेवा शुल्क नहीं मांगते। ये सुन कर हैरानी होती है कि आज भी ऐसे लोग हमारे समाज में पाए जाते हैं। अन्यथा आज आध्यात्म ज्ञान व्यापार का हिस्सा बन गया है। ऐसे दौर में अव्यवसायिक ढंग से डिजिटल बाबा की सेवा भाव इन्हें औरों से बेहद अलग और अत्याधिक लोकप्रिय बना रही हैं। डिजिटल बाबा के अध्ययन जीवन दर्शन में जहा एक तरफ परम्परागत मूल्य जड़ो से जुड़े होते हैं। वही साथ-साथ आधुनिक वैज्ञानिक सोच खुले मन का एक साफ सुथरा साधक भी डिजिटल बाबा के भीतर देखने को प्राप्त होता है जो पूरी सच्चाई के साथ अपने अनुभव के धरातल पर जीवन जीते हुए ख़ास तौर पर युवा पीढ़ी का मित्रवत मार्गदर्शन कर रहे है। मैं निजी तौर पर कह रही हूं कि वर्तमान समय में डिजिटल बाबा जैसा आध्यात्मिक गुरु ही युवा वर्ग को आध्यात्म से जोड़ पाने में कुशल सिद्ध होगा।

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उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित खजुरी भट्ट गांव में 1 नवम्बर, 1987 को डिजिटल बाबा का जन्म हुआ। विद्यार्थी जीवन में आप रामप्रकाश भट्ट नाम से जाने जाते थे। आप 9-10वीं, 11-12वीं में NCC कैडेट रहे। अध्ययन के दौरान रंगकर्म में सक्रिय रहे। सपनों की बात करें तो डिजिटल बाबा एक सफल अभिनेता बनना चाहते थे। स्वामी ताम शंकर कहते हैं, हमारा मूल किरदार क्या होगा। ये हम तय नहीं करते। ये हमारे पूर्वकृत कर्म-कर्मफल प्रारब्ध से तय हो जाता है। सच कहूँ तो आज भी अभिनय ही कर रहा हूँ और इस विश्वास के साथ एक दिन हम इस संन्यास को अपने जीवन में आत्मसात कर, एक सच्चा संन्यासी, भगवान का उत्तम, सामाज का भला करने वाला एक बेहतर मनुष्य बन जाऊंगा।

स्वामी राम शंकर की हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बैजनाथ धाम में एक प्यारी सी कुटियाँ है, जिसमें एक अतिथि कक्ष, एक खुद के निवास हेतु कक्ष एवं एक पाकशाला कक्ष है। स्वामी राम शंकर कहते हैं, जो सचमुच हिमालय में रह कर साधना करना चाहे ऐसे साधक जन कुटियां में 7 दिन रह सकते हैं, रहने के दौरान बर्तन माजने से भोजन पकाने तक के सारे कार्य में अतिथि साधक को अनिवार्य रूप से अपना योगदान देना होता है। यहाँ रहना पूरी तरह निःशुल्क हैं। डिजिटल बाबा के 14 वर्ष के आध्यात्मिक जीवन का अधिकतर समय गुरुकुल वास में अध्ययनार्थ बीता है। पिछेल 5 वर्ष से हिमाचल के बैजनाथ में बाबा जहां रहते हैं उस स्थान पर आगंतुक के समान रहते हुए नागेश्वर महादेव मन्दिर परिसर को फेसबुक के परिचित जन से जन सहयोग लेकर मन्दिर को अंत्यंत आकर्षक बना दिये हैं।

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बाबा के पास कुल केवल यह स्थान मात्र है, जहां रह कर अपने आध्यात्मिक साधना में संलग्न है। बाबा कहते है कि हमको झंझट में नहीं पड़ना है, वैचारिक धरातल पर जो सम्भव होगा, हम उसके माध्यम से जनकल्याण में अपना योगदान देंगे ।पर साधक से संस्था के मैनेजर की भूमिका हमें नहीं चाहिये। सच कहूं तो पढ़े लिखे सुलझे हुए डिजिटल बाबा जैसे साधक को जन-जन में पहुंचने के लिये हम सबको प्रयत्न करना चाहिये, दो वर्ष पूर्व मेरे निमंत्रण पर जब बाबा हमारे घर गोरखपुर आये थे, उस समय हमने उनसे कुछ सवाल-संवाद किया, जिसे आप इस लिक के जरिये सुन सकते हैं- https://youtu.be/grQ6FqMq81g। गुरु पूर्णिमा पर डिजिटल बाबा के संदेश गूगल ड्राइव में हैं, जिसे आप सुन कर लोगो के मध्य अपने मंच से साझा कर सकते है।

(लेखिका विधि की छात्रा हैं)

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