मिर्जापुर: कहते हैं पूत के पाँव पालने में झलकते हैं। इस कहावत को ‘गुरू महराज’ ने हक़ीक़त कर दिखाया है। मिर्जापुर के एक बच्चे की चर्चा इन दिनों इलाके में खूब हो रही है। मिर्जापुर के 7 साल के ‘गुरु’ की उंगलियां तबले पर ऐसी थिरकीं, जो देखा दंग रह गया। दरअसल, जिले में लोक कला संगीत कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति प्रचारिणी समिति की ओर से आयोजित की गई। इस पांच दिवसीय समारोह के चौथे दिन 07 वर्षीय बच्चे ने तबले पर उंगलियों की वो करामात दिखाई, जिसे देखकर वहां मौजूद लोगों ने दांतों तले उंगलियां दबा ली। इस नन्हे तबला वादक का नाम है ‘गुरु’।

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में आयोजित पांच दिवसीय लोक संगीत कार्यक्रम का आयोजन हुआ। शुरुआती दो दिनों में लोक संगीत, कजली व सुगम संगीत की प्रस्तुति हुई। शेष 3 दिन उप-शास्त्रीय तथा शास्त्रीय संगीत जिनमें गायन, वादन और नृत्य की प्रस्तुति विभिन्न कलाकारों ने दिया। मगर, कार्यक्रम के चौथे दिन रमई पट्टी मिर्जापुर के रहने वाले सात वर्ष के गुरु ने तबला वादन की प्रस्तुति कर सबका मन मोह लिया।

इसे भी पढ़ें: बच्चों को मीडिया साक्षर बनाने की जरूरतः

तबले पर थिरकते गुरु की नन्हीं अंगुलियां और तबले की मधुर आवाज ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आपको बता दें, गुरु जिले के अग्रसेन ग्लोरियस पब्लिक स्कूल की कक्षा 1 में पढ़ते हैं। गुरु को प्यार से सभी गन्नू भी बुलाते हैं। गुरु के पिता शैलेश महाराज मिर्ज़ापुर दीवानी कचहरी में वकील हैं। कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते जब स्कूल बंद हो गया था, तब गुरु के पिता ने उन्हें संगीत सिखाने का मन बनाया।

पिता ने ‘आपदा को अवसर’ में बदला

इस बारे में गुरु के पिता शैलेश महाराज कहते हैं कि, कोरोना के रूप में ऐसी आपदा आई जिस दौरान सभी कामकाज बंद हो गए, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बात उनके दिल को छू गई। उन्होंने कहा, कोरोना महामारी के बीच पीएम मोदी ने कहा था ‘आपदा को अवसर’ में बदलने का कार्य होना चाहिए। बस इसी स्लोगन को अपनाते हुए उन्होंने अपने बेटे गुरु को संगीत की शिक्षा दिलाने का मन बनाए। और गुरु को संगीत की तालीम घर पर दी जाने लगी।

गुरु का तबला के प्रति रुझान देख पिता शैलेश ने लॉकडाउन खत्म होते ही आचार्य पृथ्वी कुमार नारंग के पास ले गए। आपको बता दें कि, पृथ्वी कुमार नारंग दिल्ली घराने से ताल्लुक रखते हैं। नारंग महाराज ने गुरु को अपने घराने का शिष्य बनाकर संगीत सिखाना शुरू कर दिया। बेहद कम समय में गुरु ने तबला की बारीकियां सीखी। इस समय गुरु और गुरु की बड़ी बहन यशु पढ़ाई के साथ-साथ जिले के मशहूर संगीत स्कूल संगीत संकल्प एकेडमी से संगीत की शिक्षा ले रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण

Spread the news