प्रकाश सिंह

परसपुर: गरीब और मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाई जा रही सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। कोरोना काल के दौरान सरकार मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की बात पर खुद की पीठ थपथपा रही है, जबकि सच यह है कि रोजगार लोगों को केवल कागजों में मिले जबकि मजदूरी के तौर पर आया पैसा प्रधान व सेक्रेटरी के हिस्से चला गया। इसी तरह का मामला गोंडा जनपद के परसपुर विकासखंड के विशुनपुर कला ग्राम सभा से सामने आया है। यहां हाजिरी तो मनरेगा मजदूरों की लगती है, लेकिन मजदूरी का पैसा ग्राम प्रधान वसूलता है। हालांकि सरकार ने यह व्यवस्था दे रखी है कि मनरेगा का पैसा मजदूरों के खाते में सीधे ट्रांसफर किया जाए, ऐसा किया भी जा रहा है। लेकिन ग्राम प्रधान द्वारा बाद में मनरेगा जॉब कार्ड धारकों से खाते में आए पैसे को दबाव डालकर वापस ले लिया जाता है। इसके बदले में उन्हें सौ, दो सौ की राशि दे दी जाती है।

MNREGA worker

बता दें कि विशुनपुर कला की ग्राम प्रधान अनीता सिंह का कार्यभार प्रतिनिधि के तौर पर उनके लड़के देख रहे हैं। सेक्रेटरी सत्येंद्र कुमार सिंह और ग्राम प्रधान की मिली भगत से करीब 354 लोगों को मनरेगा मजदूर के तौर पर दर्शाया गया है। इसमें से सौ-पचास लोगों को छोड़ दिया जाए तो बाकी सब नाम के मनरेगा मजदूर हैं। कागज में हाजिरी सबकी लगती है। मजदूरी भी सबकी खाते में आती है। लेकिन खाते में पैसा आते ही ग्राम प्रधान अनीता सिंह के लड़के मजदूरों के पीछे वसूली के लिए पड़ जाते हैं। कोई अगर पैसा देने में हीलाहवाली करता है तो उसे अगली बार हाजिरी न लगाने की धमकी दी जाती है। मजदूरों को भी बिना काम किए सौ-दो सौ मिल जा रहा है, इसलिए वह इसका विरोध करना भी वाजिब नहीं समझते। पर उन्हें इस बात का अफसोस है कि उनके हक का पैसा ग्राम प्रधान अनीता सिंह, रोजगार सेवक किरन सिंह व सेक्रेटरी सत्येंद्र कुमार डकार जा रहे हैं।

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इस बाबत कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ग्राम प्रधान से उलझना उन्हें भारी पड़ जाएगा, इसलिए वह इसकी शिकायत नहीं करते। लोगों ने बताया कि गांव के दबंग किस्म का व्यक्ति मातादीन सिंह सेक्रेटरी का खास है। उसकी पैठ परसपुर ब्लॉक में भी है। कोई अगर अपने हक की बात करता है तो मातादीन उसे धमकाने लगता है।

नाम किसी और का काम कोई और कर रहा

विशुनपुर कला ग्राम सभा में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि यहां ग्राम प्रधान से लेकर सेक्रेटरी तक का काम कोई और ही देख रहा है। ग्राम प्रधान अनीता सिंह के प्रतिनिधि के तौर पर उनका काम उनके बेटे देख रहे हैं। रोजगार सेवक किरन सिंह जो कि अपने ससुराल चली गईं हैं, उनका काम कोई और कर रहा है। सेक्रेटरी सत्येंद्र कुमार जो कभी गांव में आते नहीं उनके प्रतिनिधि के तौर पर उनका काम गांव के मातादीन सिंह के हवाले है। ऐसे में समझा जा सकता है कि गांव के विकास का जिम्मा किन लोगों के हाथों में है।

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