संजय तिवारी

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड में दो दिन पहले जो कहा था, आज एक बानगी उन्होंने प्रदेश की जनता और अपने उन कार्यकर्ताओं को दे दी, जिनको नौकरशाही से शिकायत थी। नौकरशाही को सुधारने की उन्होंने ऐसी शुरुआत कर दी है, जिसकी कल्पना सपने में भी कोई घाघ नौकरशाह ने कभी नहीं किया होगा। उत्तर प्रदेश के अतिशक्तिशाली पुलिस महानिदेशक को मुख्यमंत्री ने ठीक वैसे ही हटाया है, जैसे जिले के कप्तान लोग कभी कभी अपने दरोगा को हटा दिया करते हैं। संदेश साफ है। जनता की गाढ़ी कमाई से मोटी तनख्वाह लेने और अकूत सुविधाओं में रह कर जनता को अपने पांव की धूल समझने की भूल कर बैठे घाघ नौकरशाहों, अब से भी ठीक हो जाओ वरना सबकी यही गति होने वाली है।

इससे पहले कल अजय मिश्र को प्रदेश का महाधिवक्ता नियुक्त कर मुख्यमंत्री ने पहला छक्का उनके लिए मारा जो यह आरोप लगाया करते थे कि सरकार जातिवादी नजरिये से काम करती है, यहां ब्राह्मण लोग उपेक्षित हैं। कल की नियुक्ति की अभी समीक्षा और विवेचना चल ही रही थी कि आज इस छक्के ने सभी को तो चौंकाया है, लेकिन नौकरशाही की नींद उड़ गई है।

मुख्यमंत्री ने इसी लिए अपनी पार्टी के जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं को संदेश दे दिया था कि आप अनावश्यक लाइजनिंग से दूर होइए, अफसरों को तो हम ठीक कर देंगे। मुख्यमंत्री ने यह शुरुआत कर दी। आगे भी यह जारी रहेगा। दरअसल, उत्तर प्रदेश के नौकरशाहों में से कुछ घाघ लोगों को अभी तक यह भरोसा ही नहीं हो रहा कि उत्तर प्रदेश में दूसरी बार सत्ता में आई सरकार के मुखिया अब अपने उस स्वरूप में हैं, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है। पिछली बार हो सकता है उनमें कुछ झिझक रही हो या कोई मजबूरी रही हो, इस बार उनके साथ ऐसा नहीं है। पिछली सरकार चलाकर उन्होंने यह भी जान लिया है कि यहां की नौकरशाही वास्तव में काम कम, फाइल दौड़ाने में ज्यादा माहिर है। अपने अपने जुगाड़ और अलग अलग दरबार इनकी फितरत हैं।

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मुख्यमंत्री ने इन्हें बहुत ही कड़ा संदेश दे दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के डीजीपी मुकुल गोयल को उनके पद से हटाने का जो आदेश जारी किया है, उसकी भाषा पढ़िए- ‘मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने एवं अकर्मण्यता के चलते पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश के पद से मुक्त करते हुए डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर भेजा जा रहा है।’ डीजीपी रैंक के किसी अधिकारी को हटाने के लिए कभी इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल हुआ होगा और उसे सार्वजनिक किया गया होगा। नालायक नौकरशाहों से कैसे निपटा जाए, इस मामले में दूसरे राज्यों के सीएम को योगी से सीखने की ज़रूरत है। झारखंड में घूसख़ोर आईएएस की कारस्तानी आप देख ही रहे हैं। जब तक जवाबदेही नहीं तय करेंगे ये पुलिस-नौकरशाह नहीं सुधरेंगे।

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