वाराणसी/ गाजीपुर: ब्रह्मर्षि विश्वामित्र मेडिकल कॉलेज ग़ाज़ीपुर के चिकित्सकों ने मधुमेह की रोकथाम के लिए शोध कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस मेडिकल कॉलेज में पुस्तक एशेसियल आफ डायबीटीज़ पुस्तक के विमोचन के समय यह तथ्य सामने आया है। इस पुस्तक का विमोचन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आनंद मिश्रा द्वारा किया गया। पुस्तक के मुख्य संपादक प्रोफ़ेसर डॉ मनोज कुमार श्रीवास्तव, प्रोफ़ेसर एके सिह एवं सह आचार्य डॉ डीके वर्मा, डॉ एमके यादव एवं डॉ आनन्द कुमार है।

ग़ाज़ीपुर मेडिकल कालेज कि चिकित्सकों द्वारा विना दवा खाये डायबीटीज़ को नियंत्रित कर (रीमिसन फ़ेज़) में लाया जा सकता है। प्रारम्भिक अवस्था वाले मरीज़ों के लिए यह विधि रामबाड साबित हो सकती है, शोध के अनुसार, 5 चीजें करना आवश्यक हैं। पहला प्रतिदिन नियमित केवल 15 मिनट अपने पेरीफ़ेरल हार्ट यानि सोलियस मसल का व्यायाम करना है बैठे-बैठे अपने पैर के ऊपर नीचे एकंल के सहारे करना है, दूसरा माथे पर महिलायें जहां बिन्दी लगाती है वो पीनियल ग्लैड का स्टेम है उसके 15 मिनट क्लांक वाइज़ एवं एंटी क्लाक वाइज़ मसाज करना है उससे मेलेटोनिन नामक रसायन निकलता है जो अपने बायोलाजिकल क्लाक या सरकेडियन रिदम को नियंत्रित करता है। तीसरा 15 मिनट प्रतिदिन धनुष आसन करना है, जिससे अपना अग्न्याशय यानि पैकिरियाज इंसुलिन बनाने लगता है ,चौथा प्रतिदिन अपने बाये हाथ के हंथेली से अंगूठा तक ज़ोर से रगड़ना है और पाँचवीं विधि अपने खाने में प्रतिदिन योग्रट यानि दही का सेवन करना है।

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चिकित्सकों का दावा है कि ये नियमित करने से शुगर नियंत्रित हो जाता है। यह विधि केवल टाइप -2 डायबीटीज़ के लिए ही है, लेकिन यह शोध बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगी। चिकित्सकों ने कहा कि यदि इंसुलिन रेजीस्टेस हो गया तब तो दवा या इंसुलिन पर भी निर्भर रहना होगा। इस पुस्तक में डायबीटीज़ के हर एक पहलू एवं आयाम को ध्यान मे रख कर लिखा गया है। इस अवसर पर आदेश श्रीवास्तव सहित मेडिकल कालेज के कई आचार्य एवं स्टाफ़ उपाध्यक्ष थे।

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