देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में सियासी समीकरण तेजी से बदलते दिखाई दे रहे हैं। यहां की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे से ऐसा माना जा रहा है कि वह एक बार फिर सक्रिय राजनीति में आ सकती हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो वह अगले वर्ष होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में मैदान में उतर सकती हैं। उनके इस्तीफे के पीछे कई तरह की कयास बाजी शुरू हो गई है। बेबी रानी बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसी के बाद से सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया था।

गौरतलब है कि बेबी रानी मौर्य का उत्तराखंड में अपना अलग रसूख है। वह राज्य के सातवें राज्यपाल के रूप में पदस्थ थीं। उनके इस्तीफे के बाद राज्य में आठवें राज्यपाल का इंतजार शुरू हो गया है। बेबी रानी मौर्य इस्तीफा देने तक राज्य के तीन साल 12 दिन तक बतौर राज्यपाल रहीं। उन्होंने 26 अगस्त, 2018 को उत्तराखंड के सातवें राज्यपाल के रूप में पदभार ग्रहण किया था। बेबी रानी मौर्य उत्तराखंड की दूसरी महिला राज्यपाल थीं। उनसे पहले मार्ग्रेट अल्वा राज्य की राज्यपाल रह चुकी हैं।

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बता दें कि बेबी रानी मौर्य का उत्तर प्रदेश से पुराना ताल्लुक रहा है। वह आगरा की मेयर रह चुकी हैं। ऐसे में यह कयासबाजी तेज हो गई है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा उन्हें यहां से बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है। वहीं यह भी चर्चा है कि पार्टी चुनाव से पहले संवैधानिक पद से नवाज सकती है। वहीं सियासी गलियारों में उनके इस्तीफे के पीछे सरकार और राजभवन के बीच तनाव की भी चर्चा है। दोनों के बीच समंजस्य के संकट की शिकायत पार्टी हाई कमान तक पहुंची थी। बताया जा रहा है कि विधानसभा से पारित विधेयक लंबे समय तक राजभवन में अटके रहने से सरकार को कई बार असहज की स्थिति से भी गुजरना पड़ा था।

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