काबुल: आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता यह अब तक केवल सुना जा रहा था लेकिन अफगानिस्तान की हालत देखकर इसे समझा भी जा सकता है। यहां इस्लाम को मानने वाले ही एक दूसरे के दुश्मन बने हुए है। मतलब अफगानिस्तान में तालिबान का युग वापस आ गया है। तालिबान लड़ाके राष्ट्रपति भवन पर अपना कब्जा जमा लिया है।

Taliban

खबरों के मुताबिक तालिबान लड़ाकों का बड़ा समूह यहां की राजधानी काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन में प्रवेश कर चुका है। अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान अब यहां के प्रमुख स्थानों को अपनी गिरफ्त में लेने के लिए लगा हुआ है। खबर है कि काबुल में तालिबान के घुसने के बाद यहां के लोगों ने खुद को अपने घरों में कैद कर लिया है।

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तालिबान के घुसने के बाद काबुल एयरपोर्ट पर हजारों लोगों की भीड़ देखी जा रही है। काबुल एयरपोर्ट से कई देशों के राजनयिकों को बचाकर निकाला जा रहा है। वहीं काबूल एयरपोर्ट पर जबरदस्त फायरिंग की खबर आ रही है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा रहा है कि यहां भगदड़ मची हुई है। इसी के साथ ही काबुल में अमेरिकी दूतावास के पास भी दो बड़े धमाके की खबर है। इन धमाकों के किसी के हताहत होने की कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। अमेरिका ने अपने नागरिकों का सुरक्षित स्थानों पर छिपने के लिए कहा है। वहीं काबुल एयरपोर्ट फायरिंग की वजह से आग लग गई है।

राष्ट्रपति ने अफगान छोड़ने की बताई वजह

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ने का कारण बताया है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि वह अफगान से इसलिए भागे कि यहां के लोगों को ज्यादा खून खराबा का सामना न करना पड़े। बता दें कि मुश्किल दौर में देश छोड़कर भागने की वजह से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी इस समय आलोचनाओं से घिरे हुए हैं। वहीं उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि अगर वह देश में रुके होते तो बड़ी संख्या में लड़ने के लिए आते जिसमें कई लोगों की जानें जाती। काबुल शहर पूरी तरह से बर्बाद हो जाता। इस सबको देखते हुए उन्होंने देश छोड़ा। उन्होंने आगे लिखा है कि अफगान के लोगों के संपत्ति, सम्मान और सुरक्षा के लिए वह जिम्मेदार हैं।

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