प्रयागराज: अदालतों पर बढ़ते काम के बोझ के लिए कहीं न कहीं से न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोग भी जिम्मेदार होते हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट प्रशासन (Allahabad High Court administration) ने 15 न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। हाई कोर्ट प्रशासन ने विभिन्न जिला न्यायालयों में पदासीन 11 अपर जनपद न्यायाधीश, दो जिला जज स्तर के और दो सीजेएम स्तर के सहित 15 न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। इनमें से 10 न्यायिक अधिकारियों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति देते हुए उनके पावर को सीज कर दिए गए हैं।

यह फैसला गत सप्ताह इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच के न्यायाधीशों की फुल कोर्ट बैठक में लिया गया है। इनमें 11 अधिकारियों को नियम 56 सी के तहत निष्प्रयोज्य आंका गया था। ये सभी अपने आचरण और व्यवहार से विभाग की छवि को भी प्रभावित कर रहे थे। इन अधिकारियों में जिला जज स्तर के मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के एक पीठासीन अधिकारी शामिल हैं।

लखीमपुर, आगरा, कौशाम्बी, वाराणसी, हमीरपुर व उन्नाव में कार्यरत अपर जिला जज भी शामिल हैं। मुरादाबाद व कानपुर नगर के सीजेएम स्तर के एक-एक अधिकारी पर कार्रवाई हुई है। गोरखपुर की महिला अपर जिला जज को भी समय से पूर्व सेवानिवृत्त कर दिया गया है।

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इसी तरह हाई कोर्ट में कार्यरत एक रजिस्ट्रार को काम पूरा न हो पाने कारण स्कैनिंग कमेटी ने उसी सूची में शामिल किया था, लेकिन उनके आचरण, व्यवहार और अच्छे न्यायिक अधिकारी होने की कारण उन्हें राहत प्रदान कर दी गई है। इसी तरह एक जिला जज को अवकाश ग्रहण करने के चलते कार्रवाई से राहत दे दी गई है।

वहीं काफी समय से निलंबित चल रहे सुलतानपुर के एडीजे को भी राहत मिली है। गौरतलब है कि संविधान 235 अनुच्छेद में हाई कोर्ट को जिला न्यायालयों में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों पर नियंत्रण रखने का अधिकार दिया गया है। जानकारों की मानें तो यह कार्यवाही एक संकेत के रूप में की गई है।

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