नई दिल्ली: “ईमानदार, जवाबदेही तथा पारदर्शी जुडिशल सिस्टम के साथ गीता को पाठ्यक्रम में शामिल कर व्यक्तियों का चारित्रिक निर्माण करना जुडिशियल रिफॉर्म भारत के लिए आवश्यक” विषय पर आयोजित वेबिनार में देश के बहुचर्चित न्यायाधीश, अधिवक्ता एवं शिक्षाविद को शामिल कर विस्तृत चर्चा की गई।

वेबिनार के प्रमुख वक्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एसएन श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि एक अलग से ऐसे जुडिशियल कैडर की जरूरत है जो सिर्फ राजस्व मामलों का ही निस्तारण करें। मेरिट के आधार पर उच्चतम न्यायालय में जजों की नियुक्ति हो साथ ही साथ देशवासियों में चारित्रिक निर्माण के लिए पाठ्यक्रम में गीता को शामिल किया जाना चाहिए।

अपने कार्यकाल के दौरान कई साहसिक फैसले सुना चुके जस्टिस श्रीवास्तव ने कहा कि देश में एक ईमानदार जवाबदेह तथा पारदर्शी जुडिशियल सिस्टम स्थापित करना आज के परिप्रेक्ष्य में एक जरूरी कदम होगा। कोर्ट की मूलभूत सुविधाओं का सुधार और रिक्त पदों पर जजों की अविलंब नियुक्ति हो।

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उन्होंने अधिवक्ताओं को याद दिलाया कि किसी पीड़ित को न्याय दिलाना ही आपका मुख्य दायित्व है। इसे हर समय ध्यान में रखा जाना चाहिए। आजकल ऐसा देखा गया है कि लोग न्यायालय में न आ कर राजनेताओं, पुलिस तथा बाहुबलियों के माध्यम से समस्याओं का समाधान करने में लग जाते हैं जो न्यायालय की विश्वसनीयता तथा आने वाले समय के लिए खतरे की घंटी है।

वेबिनार की दूसरी स्पीकर लॉ कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षाविद डॉक्टर अंजली दीक्षित ने कहा कि जहां धर्म है वही विजय है। उन्होंने अपने संबोधन में जुडिशियल रिफॉर्म के मार्ग में आने वाली अड़चन के समाधान के तरीके बताने के साथ ही वैकल्पिक डिस्प्यूट रेजोल्यूशन तथा लोक अदालत के गठन को आज की प्रमुख जरूरत पर प्रकाश डाला। यदि इससे अधिकतर मामलों का निबटारा किया जाए तो न्यायालय पर अनावश्यक बोझ को कम किया जा सकेगा।

वेबिनार के तीसरे स्पीकर कमर्शियल लिटिगेशन मामले में एक्सपर्ट तथा दिल्ली के अधिवक्ता पार्थो भट्टाचार्य ने कविड-19 के दौरान चलन में आए ई कोर्ट के फायदों को सामने रखा। उन्होंने इस वेबीनार के माध्यम से अपील करते हुए कहा कि फिजिकल कोर्ट के साथ वर्चुअल कोर्ट भी साथ साथ चलें ऐसी व्यवस्था को जुडिशियल रिकॉर्ड में शामिल करना आवश्यक होगा। उन्होंने समरी ट्रायल प्रणाली पर भी प्रकाश डाला। साथ ही साथ उन्होंने न्यायिक व्यवस्था में दिनोंदिन बढते जा रहे भ्रष्टाचार को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त की।

कार्यक्रम में संस्था के मार्गदर्शक तथा वरिष्ठ पत्रकार पदम पति शर्मा ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि यदि हमें देश का सही मायने में पुनर्निर्माण कर नए भारत की परिकल्पना को साकार करना है तो लोगों को एक सीमित समय में अफॉर्डेबल कॉस्ट के भीतर न्याय दिलाने की व्यवस्था करना सरकार के लिए आज के समय का प्रमुख दायित्व है। उन्होंने इसी के साथ अपने पत्रकारिता के दौरान हुए खट्टे मीठे अनुभवों को भी सभी के साथ साझा किया।

फाउंडेशन के ट्रस्टी दिल्ली के चार्टर्ड अकाउंटेंट तथा आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ सीके मिश्रा ने अपनी संस्था की ओर से विभिन्न विषयों पर कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान आयोजित वेबिनारों की विस्तूत जानकारी दी। कार्यक्रम के संचालन का दायित्व कानपुर से रवि पांडेय ने हमेशा की तरह सफलता के साथ निर्वहन किया।

अंत में फाउंडेशन की ओर से अपने धन्यवाद ज्ञापन में कोलकाता के अधिवक्ता व समाज सेवी आनंद कुमार सिंह ने सभी वक्ताओं, श्रोताओं तथा अपनी टीम के साथियों का आभार व्यक्त करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में भारत मैं ऑल इंडिया जुडिशियल सर्विस,पंचायती राज में ग्रामीण न्यायिक व्यवस्था, स्पीड और टाइम बाउंड जजमेंट, मॉडल लिटिगेशन पॉलिसी, इफेक्टिव इलेक्ट्रॉनिक कोर्ट की व्यवस्था, इज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए वैकल्पिक न्यायिक व्यवस्था तथा पारा लीगल सिस्टम को मजबूत कर इज ऑफ डूइंग बिजनेस के सहारे जुडिशियल रिफॉर्म को बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया जा सकता है। यह पुनर्सुधार देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा ही साथ ही साथ इससे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण भी संभव होगा। इसी विश्वास के साथ उन्होने वर्चुअल गोष्ठी को विराम दिया।

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