
नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस वर्ष 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर अपनी अद्यतन भविष्यवाणी जारी की है, जो देश के लिए बेहद राहतभरी खबर लेकर आई है। विभाग के अनुसार, जून से सितंबर तक चलने वाले इस मानसून सीज़न में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश में औसत वर्षा दीर्घकालिक औसत (LPA) का लगभग 106% रहने का अनुमान है, जिसमें ±4% की संभावित त्रुटि का मार्जिन है। यह अनुमान कृषि उत्पादन, सिंचाई और जल संरक्षण के लिहाज से एक अच्छी खबर है, हालांकि साथ ही मानसून से जुड़ी आपात स्थितियों के लिए सतर्क रहने की भी जरूरत है।
कृषि क्षेत्रों के लिए सुखद संकेत
विशेष रूप से मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र जो कृषि की दृष्टि से अहम हैं, वहाँ सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना जताई गई है। उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा सामान्य रहने का अनुमान है, जबकि पूर्वोत्तर भारत में कम वर्षा की आशंका ने चिंता बढ़ाई है, क्योंकि यह क्षेत्र नाजुक पारिस्थितिक तंत्र और वर्षा-निर्भर खेती पर निर्भर है। मानसून कोर ज़ोन, जहाँ अधिकांश वर्षा आधारित खेती होती है, में भी सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद जताई गई है, जिससे खरीफ फसल की अच्छी शुरुआत का रास्ता साफ होता दिख रहा है।
मानसून की शुरुआत भी रहेगी मजबूत
जून 2025, जो मानसून का पहला महीना होता है, उसमें भी देश भर में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। इससे बुवाई कार्य में तेजी आएगी और भूजल स्तर में सुधार होगा। हालाँकि दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों, उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में जून में कम वर्षा की आशंका बनी हुई है।
तापमान और लू के दिनों में राहत
तापमान को लेकर मिश्रित अनुमान हैं। अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे या सामान्य रहने की उम्मीद है, लेकिन उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में यह सामान्य से अधिक हो सकता है। न्यूनतम तापमान अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से अधिक रह सकता है, जबकि मध्य और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में यह सामान्य या उससे कम हो सकता है। खास बात यह है कि लू (हीटवेव) के दिन सामान्य से कम रहने की संभावना है, जिससे गर्मी से राहत मिल सकती है।
जलवायु कारक भी अनुकूल
मौसमी पूर्वानुमान में जलवायु संबंधी कारकों जैसे एल-निनो-सदर्न ऑस्सीलेशन (ENSO) और इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) की स्थिति को भी ध्यान में रखा गया है। इस समय ये दोनों स्थितियाँ न्यूट्रल हैं, लेकिन मानसून के दौरान एक कमजोर नकारात्मक IOD विकसित हो सकता है। यद्यपि ये स्थितियाँ गंभीर नहीं हैं, लेकिन मौसम विभाग इन्हें लगातार मॉनिटर करता रहेगा।
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कृषि राज्यों को होगा सीधा लाभ
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, देश के 36 में से 34 मौसमीय उपखंडों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। इसमें पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे प्रमुख कृषि राज्य शामिल हैं। केवल अरुणाचल प्रदेश और असम-मेघालय क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा की संभावना है।
सावधानी भी ज़रूरी
जहाँ यह मानसून रिपोर्ट सकारात्मक है, वहीं संभावित जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बाढ़, जलभराव, भूस्खलन और जलजनित बीमारियों के खतरे से बचने के लिए प्रशासन और स्वास्थ्य तंत्र को सतर्क रहना होगा। IMD ने जानकारी दी है कि वह अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप के माध्यम से विस्तारित और अल्पकालिक मौसम पूर्वानुमान उपलब्ध कराता रहेगा, जो किसानों, नीति-निर्माताओं और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
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